देहरादून — उत्तराखंड के शहरों की मलिन बस्तियों में रहने वालों को पक्के मकान मुहैया कराने की कोशिश को सरकारी अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं। राजीव आवास योजना के तहत उत्तरकाशी की नगर पालिका बड़कोट में मृतकों, सरकारी कर्मचारियों, होटल संचालकों, ठेकेदारों आदि को लाभ पहुंचाया गया।
यह काण्ड कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के ज़माने में तो चल ही रहा था, भाजपा की सरकार बनने के बाद भी इसी हफ़्ते इस घोटाले पर रौशनी पड़ी है।
मुआमला तब सामने आया जब सोमवार को 5-सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट ज़िला अधिकारी उत्तरकाशी ने सचिव शहरी विकास को भेजी। रिपोर्ट में घोटाले की पुष्टि करते हुए अग्रिम आदेश तक भुगतान पर रोक लगा दी गई है।
उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर लगाम क्या कसी गई, हर रोज़ कोई न कोई घोटाला सामने आ रहा है। ताज़ा मुआमला उत्तरकाशी की बड़कोट नगर पालिका से जुड़ा है। पालिका क्षेत्र में राजीव आवास योजना के तहत नगर क्षेत्र में मलिन बस्तियों के स्थान पर या किसी नए स्थान पर उक्त बस्ती को विस्थापित कर आवास निर्माण किया जाना था। इसके लिए नगर पालिका के माध्यम से 5,00,000 तक की आबादी वाले निकायों को रु० 4,00,000 तक की सहायता राशि लाभार्थियों को दी जाती है। इसी योजना के तहत बड़कोट नगर पालिका क्षेत्र में आवास तैयार किए जा रहे थे।
इस बीच स्थानीय पार्षद प्रवीण गौड़ व स्थानीय निवासी सुनील थपलियाल, आनंद असवाल, पूरण सिंह आदि ने अपात्रों को योजना का लाभ दिए जाने की शिकायत शहरी विकास विभाग से की। मुआमले का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने सचिव शहरी विकास को इस मुआमले की जांच कराने के आदेश दिए। अब जांच रिपोर्ट सामने आते ही शासन से अग्र्रिम आदेश तक लाभार्थियों को राशि भुगतान पर रोक लगा दी गई है। साथ ही दोषी अधिकारियों को विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति भी की गई है।
उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री ने कहा है कि किसी भी दोषी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही गलत तरीक़े से लाभ लेने वाले लोगों से क़ानूनन वसूली कराई जाएगी।
You must log in to post a comment.