प्रतापगढ़ | जिले में कभी भी एटा जैसी घटना घट सकती है; अधिकतर विद्यालयों में डग्गामार वाहनों का प्रयोग हो रहा है। पिछले गुरुवार की सुबह एटा जिले में ट्रक और स्कूली बस में हुए भिडंत में दो दर्जन से अधिक बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी और 30 से अधिक के घायल हो गए थे।
एआरटीओ के मानक पर खरी नहीं उतरने वाली अधिकांश बसों का न तो बीमा होता है और न ही रजिस्ट्रेशन। जबकि स्कूल संचालक वाहन के नाम पर अभिभावकों से रु० 500 से रु० 800 तक वसूली करते हैं।
जनपद में शहर से लेकर गांव तक सैकड़ों निजी स्कूलो में प्रयुक्त वाहनों की हालत बदतर है। मासूमो की जान को जोखिम में डालकर विद्यालय संचालक खुद तो मालामाल हो रहे हैं लेकिन अगर उनके उन वाहनों पे नजर डाली जाय जिसका प्रयोग वो विद्यालय वाहन के तौर पर कर रहे है तो बहुत भयावह तस्वीर सामने आती है।
जिन डग्गामार वाहनों का उपयोग हो रहा है वो कतई प्रयोग करने लायक नहीं है। भयावह हो चुकी इस कहानी में सबसे खतरनाक है सम्बंधित विभाग के अधिकारिओ की अनदेखी जो कभी भी एटा जैसी वीभत्स घटना को घटित होने के लिए विवश कर रही है।
इस तरह की स्थिति को देखकर यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर क्यों इस गंभीर विषय की अनदेखी की जा रही है। अधिसूचना के बाद सक्रिय हुई पुलिस क्या कभी ऐसे वाहनों को चेक करेगी जिस पर भारत का भविष्य ढोया जा रहा है।
बहरहाल, शहरके व्यस्ततम भीड़भाड़ वाले सदर बाजार से अब स्कूल बसों का संचालन नहीं होगा। गुरुवार को कोतवाली में पुलिस प्रशासन स्कूल बस संचालकों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह आदेश 16 जनवरी से प्रभावी हो चुका है। सदर बाजार शहर का सबसे मुख्य बाजार है। पहले से ही सकड़ा होने, अव्यवस्थित पार्किंग तथा अतिक्रमण होने से इस बाजार में आए दिन जाम की समस्या रहती है वहीं स्कूल बसों के आगमन से हालात और विकट हो जाते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/दीपेन्द्र/राम/प्रतीक
You must log in to post a comment.