अपनी फ़ेसबुक वॉल पर मैंने 3 दिसंबर की सुबह एक संग्रहित वीडियो डाली जिसमें अमेरिकन सा सुनाई देने वाला “रॉजर अफ़ कैन्सस सिटी” कह रहा है कि कैलाश पर्वत पर बने प्राचीन कलाकृतियों को देखकर वह इतना मंत्रमुग्ध हो गया है कि वह अब हिन्दू पंथ को अपनाने की सोच रहा है। गूगल के सहारे जैसे-जैसे कैलाश के विभिन्न भागों को नज़दीक से देखा जाता है, चित्र अस्पष्ट से स्पष्ट होने लगता है। साफ़ पता चलता है कि ये मानव-निर्मित आकार हैं और काफ़ी समृद्ध सभ्यता की ओर संकेत करता है क्योंकि प्रागैतिहासिक या प्रस्तर युग में मनुष्य इतने महीन काम में पारंगत नहीं था।
ख़ैर, जैसा कि अपेक्षित था, कुछ लोगों ने वीडियो में किए गए दावे की सच्चाई पर संदेह व्यक्त किया। एक ने वीडियो में धाराभाष्य देने वाले रॉजर नामक व्यक्ति को कन्सपिरसी थिअरिस्ट बताया, अर्थात एक ऐसा व्यक्ति जो कुछ तथ्यों के आधार के साथ कई अनुमानों को जोड़कर कोई मनलुभावन कहानी बनाता है या किसी षड़यंत्र की ओर संकेत करता है।
तो फिर क्या है कैलाश की कलात्मक आकृतियों का राज़? क्या यह नज़र का धोखा है? क्या किसी ने मॉर्फ़िंग की है? क्या किसी ने रिक्त स्थान पर कहीं और से चित्र उठाकर चिपका दिया है?
विडियो दरअस्ल YouTube पर दो साल पहले पोस्ट किया गया था।
सिर्फ़ न्यूज़ द्वारा जाँच के दौरान हमें निम्नलिखित तथ्य मिले ―
कैलाश — विश्वास बनाम तर्क
स्वर्ग तक पहुँचाने वाली सीढ़ी का द्वार माना जाने वाला कैलाश हिमालय पर्वत शृंखलाओं में सबसे पेचीदा है। इसलिए सटीक परिप्रेक्ष के लिए कुछ अंशों को विभाजित करना उचित होगा। तथ्य के रूप में माउंट कैलाश तिब्बती पठार से 22,000 फ़ीट की दूरी पर है जिसे काफ़ी हद तक दुर्गम माना जाता है। हिंदुओं और बौद्धों के लिए माउंट कैलाश पर्वत मेरु का भौतिक अवतार है। हिन्दुओं, बौद्धों और जैनों की मान्यता के अनुसार विश्व का सबसे पवित्र और रहस्यमय पर्वत शिखर है कैलाश।
पर क्या कैलाश को विश्वास और आस्था की दृष्टि से देखा जाए या किसी नास्तिक, अविश्वासी भूवैज्ञानिक की तरह? इस विषय में नास्तिकता या तर्कशीलता के साथ यह समस्या यह है कि या तो मानना पड़ेगा कि इस क्षेत्र की मानव सभ्यता इतनी प्राचीन है जहाँ तक मध्य एशिया से आर्य स्थानांतरण की थ्योरी का पांडित्य बघारने वाले वामपंथी इतिहासकार नहीं पहुँच पाए या यह कि यह पिरमिड-नुमा सृष्टि मानव की नहीं है। अब अखंड भारत की सभ्यता सर्वाधिक प्राचीन है, यह मान लें तो कैसे, या मानव से परे भी कोई शक्ति है, यह भी मान लें तो कैसे?
ख़ैर, बौद्ध और हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार मेरु पर्वत के आसपास प्राचीन मठ और गुफाएँ मौजूद हैं जिनका अस्तित्त्व भूवैज्ञानिक स्वीकार करते हैं, भले ही यह न मानें कि इनमें दिवंगत ऋषि अपनी सामग्री और सूक्ष्म शरीरों में निवास करते हैं। आधुनिक काल में इन गुफाओं तक पहुँच पाने वाले बहुत कम रहे हैं। वैज्ञानिकों ने अपनी राय रॉजर की तरह ही सॅटॅलाइट से प्राप्त तस्वीरों के आधार पर ही बनाई है।
हर साल हज़ारों श्रद्धालु पवित्र पर्वत कैलाश की तीर्थयात्रा के लिए तिब्बत में प्रवेश करते हैं। कुछ लोग इस क्षेत्र तक ध्यान लगाने और शिखर की परिक्रमा करने के उद्देश्य से पहुँचते हैं पर बहुत कम लोग परिक्रमा भी पूरी कर पाते हैं, चोटी तक पहुँचना तो बहुत दूर की बात है। शिखर पर चढ़ने के लिए कुछ साहसी पर्वतारोहियों ने ऐसा करने का प्रयास किया है, लेकिन कोई सफल नहीं हो पाया।
माउंट कैलाश के शिखर तक सभी तरह से ट्रेकिंग करना, पहाड़ की पवित्रता को तिरस्कृत करने और वहां निवास करने वाली दिव्य ऊर्जाओं को परेशान करने के डर से हिंदुओं के बीच एक निषिद्ध कार्य माना जाता है। तिब्बती लोग कहते हैं कि मिलारेपा नामक एक भिक्षु एक बार माउंट मेरु के शीर्ष तक पहुँचने के उद्देश्य से कैलाश के काफ़ी निकट पहुँच गया था। जब वह वापस लौटा तो उसने सभी को मना किया कि चोटी पर “भगवान विश्राम करते हैं; उन्हें व्यग्र न करें”।
मानसरोवर और रक्षा ताल नामक दो मनोहारी झीलें कैलाश पर्वत के आधार पर स्थित हैं। दोनों में से 14,950 फीट की ऊंचाई पर स्थित मानसरोवर दुनिया में सबसे अधिक ताजे पानी का स्रोत माना जाता है।
हालांकि मानसरोवर का एक गहन आध्यात्मिक महत्व है, मान्यता है कि इसके विपरीत राक्षस ताल भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए राक्षस राजा रावण द्वारा की गई गहन तपस्या से पैदा हुआ था। इतना तो प्रमाणित है कि राक्षस ताल में नमकीन या खारा पानी है और यह जलीय पौधों के जीवन और समुद्री जीवन से वंचित है।
माना जाता है कि कैलाश पर्वत की धुरी, विश्व अक्ष, विश्व स्तंभ, विश्व वृक्ष का केंद्र अक्ष मंडी है। ज्योतिर्विज्ञान और ज्योतिष को मिलाएँ तो यह वह बिंदु है जहाँ स्वर्ग पृथ्वी से मिलता है। Google Maps (मानचित्र) इस तथ्य की वैधता को सत्यार्पित करता है।
अपनी प्रकृति के अनुसार पवित्र मानसरोवर झील का पानी शांत रहता है, चाहे यहाँ वायु के प्रवाहित होने का आभास नहीं होता। लेकिन बगल के राक्षस ताल में उथल-पुथल मची रहती है।
चीन से वीज़ा लेकर यदि आप माउंट मेरु यात्रा से लौट कर आएँ तो पाएंगे कि आपके नाख़ून अपेक्षित से कहीं अधिक बढ़ चुके हैं। यह इसलिए नहीं होता कि आपने वहाँ महीनों बिताए। पर्यटकों और तीर्थयात्रियों ने पता लगाया है कि इस प्राचीन शिखर की हवा उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को बढ़ा देती है!
जब कोई पाबंदी न थी, तब भी कोई पहुँच नहीं पाया था
वैसे तो नेपाल के माछापुच्छ्रे, भारत की नंदा देवी की चोटी और भूटान की कंग्कार पुन्सुम चोटी जैसे कई शिखरों तक चढ़ाई करना वर्जित है, लेकिन एक ऐसा भी ज़माना था जब आज की सरकारें नहीं थीं और इन श्रृंखलाओं पर आरोहन करने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। ऐसे समय ख़ास कर रूसियों ने कैलाश के शिखर तक पहुँचने की कई कोशिशें की, पर एक भी मिशन सफल नहीं रहा।
रूसी पर्वतारोहियों, खोजकर्ताओं और पर्यटकों का कैलाश के प्रति 19वीं सदी से एक अद्भुत कौतूहल देखा गया। पेंटर निकोलस रोअरिक ने लिखा कि कैलाश में शम्भल नाम का कोई राजत्व था। दलाई लामा के अनुसार शम्भल कोई भौतिक स्थान नहीं है अपितु एक सोच है।
एक बार साइबेरियाई मूल के पर्वतारोहियों का एक समूह एक निश्चित बिंदु से आगे पहुंच गया और तुरंत उनकी उम्र जैसे कुछ दशक अधिक हो गई। इन सभी पर्वतारोहियों की एक साल बाद मृत्यु हो गई।
एक रूसी डॉक्टर का अनुभव
रूसी अर्नस्ट मुल्दशेव आँखों के डॉक्टर थे। कैलाश के प्रति आकृष्ट हुए तो उन्होंने पर्वतारोहियों की एक टीम बनाई। इस दल के साथ वे कैलाश के जितने निकट पहुँच पाए, वहाँ से तिब्बती भिक्षुकों के बीच रहकर उन्होंने इस क्षेत्र के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की। उन्होंने माना कि ये मानव-निर्मित पिरमिड ही है जिसकी चारों ओर अनेकों छोटी पिरमिड्स भी हैं। मुल्दशेव का मानना था कि इस क्षेत्र में पैरानॉर्मल अर्थात अलौकिक घटनाएँ घटती हैं।
मुल्दशेव की पुस्तक Where Do We Come From? से उद्धृत ―
“In the silence of the night, there often were strange gasping sounds in the belly of the mountain… One night both my colleagues and I distinctly heard the noise of a falling stone that undoubtedly came from the interior (of the mountain).”
“In Tibetan texts, it is written that Shambhala is a spiritual country that is located in the north-west of Kailash… It is hard for me to discuss this topic from a scientific point of view. But I can quite positively say that Kailash complex is directly related to life on Earth, and when we did a schematic map of the ‘City of the Gods,’ consisting of pyramids and stone mirrors, we were very surprised – the scheme was similar to the spatial structure of DNA molecules.”
संस्कृत के पंडित मोहन भट्ट कहते हैं कि रामायण में भी कैलाश को पिरमिड बताया गया है।
चीनी अधिकारी मुल्दशेव के वृत्तांत को ख़ारिज करते हैं पर चीन कहता है कि हिन्दू और बौद्ध मान्यताओं पर वह आघात नहीं पहुँचाना चाहता।
मुल्दशेव ने जो भी देखा या तिब्बती भिक्षुकों से सुना वह अपनी जगह, लेकिन इसे कौन झुठला सकता है कि कैलाश क्षेत्र से लौटने के बाद उन्होंने मानव नेत्र ट्रांसप्लांट द्वारा एक अंधी महिला को दृष्टि प्रदान की। इस प्रक्रिया में उन्होंने किसी मुर्दे की मांस से बने शोधकार्य में उपयुक्त रासायनिक द्रव्य में संरक्षित कॉर्निया और रेटिना का इस्तेमाल किया। बर्तानिया के डॉक्टरों ने इस प्रक्रिया को मूलधारा की चिकित्सा पद्धतियों में शामिल करने से इनकार कर दिया।
![कैलाश पर प्राचीन तक्षकला का सच [interior image 1]](https://cdn.rbth.com/web/in-rbth/images/2017-02/small/tass_478163.jpg)
सत्य की खोज जारी है, निष्कर्ष पर पहुँचना शेष
अंत में यह बताना आवश्यक है कि ‘रॉजर अफ़ कैन्सस सिटी’ के कैलाश-संबंधी दावे को किसी वैज्ञानिक ने अभी तक ख़ारिज नहीं किया है। कैलाश से जुड़ी हिन्दू, बौद्ध व जैन मान्यताओं पर कई लेख प्रकाशित हो चुके हैं और किताबें तक लिखी जा चुकी हैं, परंतु विडियो में दिख रही आकृतियों पर अविश्वास जताते हुए भी किसी लेखक ने इसे फ़र्ज़ी नहीं बताया।
कैलाश के अनोखे वातावरण में किसी विशेष तापमान तथा अन्य आवश्यक भूरासायनिक परिस्थितियों के कारण अद्भुत आकार बन सकते हैं पर मूर्तियों जैसी आकृतियों की एक श्रृंखला नहीं बन सकती।
विषय में अंतिम संभावना मनोदशा की है। मनोविज्ञान में “पारेइडोलिया” (pareidolia) का उल्लेख है जो एक ऐसी अवस्था है जिसमें कोई आकाश में बादल, किसी पेड़ का आकार या भौगोलिक किसी भी वस्तु को देखकर यह मानने के लिए ख़ुद को और दूसरों को मनाता है कि आकृति एक चेहरे की है, किसी जानवर की है या किसी देव की। लेकिन ऐसी मनोदशा में भी इतनी विस्तृत श्रृंखला का बनना और रॉजर के धाराभाष्य का किसी के द्वारा ठोस सबूत द्वारा खंडित न होना संभावनाओं को जीवित रखती हैं।
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