शिमला — हिमाचल में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों पर प्रदेश सरकार सख्ती जारी रखेगी और ऐसे डाॅक्टरों पर गाज गिर सकती है। इसके अलावा जेनेरिक दवाएं न लिखने वाले डॉक्टरों पर भी शिकंजा कसा जा सकता है।
सूबे के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने प्राइवेट प्रैक्टिस वाले डॉक्टरों पर कड़ी कारवाई अमल में लाने की बात कही है। कुछ दिन पहले ही राज्य सरकार ने प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत सात डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने पर निलम्बित किया था। इन डॉक्टरों में डॉ. प्रशांत राणा चिकित्सा अधिकारी क्षेत्रीय अस्पताल चम्बा, डॉ. दिनेश ठाकुर चिकित्सा अधिकारी क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर, डॉ. अश्विनी सम्मी चिकित्सा अधिकारी क्षेत्रीय अस्पताल चम्बा, डॉ. पंकज शर्मा, चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नालागढ़ जिला सोलन, डॉ. अरविन्द शर्मा चिकित्सा अधिकारी नागरिक अस्पताल कांगड़ा, डॉ. दीपक ठाकुर चिकित्सा अधिकारी क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर और डॉ. पंकज शर्मा चिकित्सा अधिकारी क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर शामिल हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि निलम्बित किए गए डॉक्टरों का मुख्यालय स्वास्थ्य निदेशालय शिमला में निर्धारित किया गया है और सभी चिकित्सक सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोडेंगे।उन्होंने कहा कि निजी प्रैक्टिस में शामिल रहने और अपनी डयूटी सही तरीके न निभाने वाले डाॅक्टरों पर सख्ती जारी रहेगी और ऐसे डाॅक्टरों के खिलाफ भविष्य में भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
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