नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल का रंग बदलने पर आज एएसआई को फटकार लगाई। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर एएसआई ने ठीक से काम किया होता तो ताजमहल की ये स्थिति नहीं होती। हमें एएसआई द्वारा अपना बचाव करने के तरीके पर काफी आश्चर्य हो रहा है।
कोर्ट ने कहा कि ताजमहल में कीड़े लग रहे हैं और आप कुछ नहीं कर रहे हैं। आप कीड़ों को रोकने के लिए क्या कर रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि एएसआई समझना नहीं चाहता कि ताजमहल में समस्या है। एएसआई ने बताया कि ताज के बदलते रंग की वजह गंदे मोजे, कीड़े और काई हैं। कोर्ट ने पूछा कि काई में पंख लगे होते हैं क्या जो उड़कर ताजमहल पर बैठ जाते हैं?
कोर्ट ने कहा कि 22 साल पहले 1996 में दिए हमारे आदेश पर अब तक अमल नहीं हो पाया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह ताजमहल की रक्षा और संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की नियुक्ति पर विचार कर रहा है।
कोर्ट ने कहा कि एएसआई का यही स्टैंड है तो केंद्र ताजमहल के रखरखाव को दूसरा विकल्प तलाशे। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या ताजमहल का रंग बदल रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के रंग भूरा होने संबंधी फ़ोटो को देख कर चिंता जताते हुए ये सवाल पूछा।
कोर्ट ने यूपी सरकार और केंद्र की खिंचाई करते हुए पूछा कि किसी के पास कोई जवाब है क्या? पहले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वो चार महीने के भीतर ताजमहल को संरक्षित रखने के लिए विजन डॉक्यूमेन्ट का पहला ड्राफ्ट दें।
कोर्ट ने कहा कि आगरा तक पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछाने के मामले में पेड़ों की कटाई और लगाने को सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी देखेगी।
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार को ताजमहल के संरक्षण और सुरक्षा को लेकर विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि ताजमहल और टीटीजेड एरिया में कितने पेड़ लगाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ताजमहल के आस-पास अचानक व्यावसायिक गतिविधियों के बढ़ने से कोर्ट चिंतित है।
पिछले 15 जनवरी को ताजमहल टीटीजेड एरिया में चमड़े की फैक्ट्री स्थापित करने की मांग को लेकर उत्तरप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस याचिका पर सुनवाई मुख्य मामले के साथ होगी। 8 दिसंबर 2017 को यूपी सरकार ने ताजमहल के आसपास पर्यावरण संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में पेड़ लगाने, इलेक्ट्रिक बस के इस्तेमाल, यमुना में रबर डैम बनाकर ताजमहल के लिए पानी का स्तर बनाए रखने जैसे कई उपाय बताए गए हैं।
रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे फौरी उपाय बहुत काम के नहीं। ताजमहल को बचाने के लिए लंबे समय की योजना बनाई जाए। ये काम सिर्फ नौकरशाह न करें। पर्यावरण, संस्कृति और इतिहास के जानकारों की भी मदद ली जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा ताजमहल के संरक्षण के लिए कम से कम 100 साल की योजना बना कर दें, जल्दबाजी में काम न करें।
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