दिल्ली के टैगोर इंटरनेशनल स्कूल में हाल ही में किसी एलजीबीटी संगठन द्वारा फेसबुक पर किए गए दो साल पुराने विवादास्पद पोस्ट का इस्तेमाल कर बच्चों को ब्रेनवाश करने की कोशिश की गई। आरोप के घेरे में आए स्कूल ने जहाँ विषय पर चुप्पी साधी हुई है वहीं सोशल मीडिया पर विद्यालय प्रशासन की थू-थू हो रही है।
पिछले साल इसी तरह एलजीबीटी कार्यकर्ता मुंबई के एक स्कूल में लैंगिक पहचान की राजनीति की विचारधारा में बच्चों को प्रेरित करने का प्रयास कर रहे थे। बच्चों की मानसिकता को प्रभावित करने के इस भद्दे प्रयास ने समाज को चौंका दिया है।
नज़रिया नामक कथित ‘क्वियर फेमिनिस्ट रिसोर्स ग्रुप’ पर आरोप है की यह लगातार बच्चों को लैंगिक पहचान की राजनीति की विषाक्त विचारधारा से प्रभावित करने की कोशिश करता रहता है। इनके प्रयासों में लव जिहाद को सही ठहराने का प्रयास भी शामिल है।
फेसबुक पोस्ट में उन्होंने एक छात्र की सराहना की जिसने लिखा था कि “हादिया अपने उदाहरण के सहारे बताती हैं कि कैसे हाशिए के लोगों को मूलधारा के ढांचे से परे अपनी पसंद का इज़हार करने पर हिंसा का शिकार होना पड़ता है।” केरल की हादिया लव जिहाद का हाई-प्रोफाइल मामला है जहां हिन्दू लड़की से शादी से पहले उसका मुसलमान पति आईएसआईएस के संपर्क में था।
यह स्पष्ट नहीं है कि हादिया क्वियर या समलैंगिक कैसे बनी और अगर नहीं बनी तो इस विषय में उसकी प्रासंगिकता क्या है। सवाल यह भी है कि इन दोनों का प्रयोग टैगोर इंटरनेशनल स्कूल के किस एजेंडा को आगे बढ़ा रहा है?
दो साल पुराने फेसबुक पोस्ट के मामले की एनआईए जांच का भी आदेश दिया गया था। कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पीएफआई ने हादिया की शादी पर चल रहे अदालती मामलों में रु० 1 करोड़ खर्च किए थे। सोशल मीडिया में सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे उदाहरण का इस्तेमाल टैगोर इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों के शिक्षण में क्यों हो रहा है।
नज़रिया के जिस फेसबुक पोस्ट के टैगोर इंटरनेशनल स्कूल में प्रयोग होने से हंगामा बरपा हुआ है उसमें आगे कहा गया है कि “जब भी कोई लिंग और कामुकता के सामाजिक मानदंडों के अनुरूप होने से इनकार करता है, तो पितृसत्ता विभिन्न बिंदुओं पर लोगों के जीवन को प्रभावित करती है। अन्य छात्रों ने इस बारे में बात करके चर्चा में जोड़ा कि कोई भी व्यक्ति जो पितृसत्ता के विचारों और मानदंडों के अनुरूप नहीं है, समाज के लिए बड़े पैमाने पर सजा का सामना करता है।”
![टैगोर इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों को लिंग शिक्षा प्रदान के नाम पर अश्लील प्रदर्शन [अंतरिम चित्र]](https://i0.wp.com/www.opindia.com/wp-content/uploads/2020/07/pegnant-man.jpg?w=696&ssl=1)
साथ ही नज़रिया द्वारा पोस्ट के साथ साझा की गई छवि बेहद परेशान करने वाली है जिसे टैगोर इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों के समक्ष प्रेजेंटेशन में दिखाया गया। चित्र में एक पुरुष को बढ़े हुए स्तन से बच्चे को स्तनपान कराते हुए देखा जा सकता है। यह काफी स्पष्ट है कि पुरुष ने किसी प्रकार की हार्मोन थेरेपी प्राप्त की थी ताकि वह स्त्री कार्य कर सके।
तस्वीर में मौजूद व्यक्ति दरअस्ल इवान हेम्पेल है। वह एक महिला पैदा हुई थी। 2003 में उन्होंने शारीरिक रूप से एक ट्रांसजेंडर आदमी बनने के लिए हार्मोन थेरेपी से गुजरने का फैसला किया, लेकिन उन्होंने खुद के एक बच्चे को जन्म देने की इच्छा नहीं खोई। इस प्रकार 2011 में हेम्पेल ने अपनी महिला साथी के साथ टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शन लेने से रोकने और डोनर स्पर्म के साथ कृत्रिम गर्भाधान की कोशिश करने का फैसला किया।
कुछ असफल प्रयासों के बाद हेम्पेल एक बच्चे को गर्भ धारण करने में सफल रही और 2016 के वसंत में उसके लिए एक लड़का पैदा हुआ।
यह समझ में आता है कि लोग इस तरह की विचारधारा में बच्चों के निर्वासन से क्यों परेशान हैं।
भारतीय समाज इन मामलों में बच्चों के ब्रेनवॉश किए जाने के विचार से सहज नहीं हैं। कई लोग इन ने यह भी अपील की है कि केंद्र सरकार पूरे मामले को देखें और भविष्य में ऐसी घटनाओं को होने से रोकें।
अन्य लोगों ने मांग की है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) के तहत इस तरह के निर्वासन को अवैध बनाया जाना चाहिए। यह भी मांग उठ रही है कि टैगोर इंटरनेशनल स्कूल के प्रशासन को दंडित किया जाना चाहिए।
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