नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग़ (Shaheen Bagh) में हुए प्रदर्शन पर आज सर्वोच्च न्यायलय (Supreme Court) ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजनिक स्थानों को धरना, प्रदर्शन या अन्य प्रकार के सक्रिय प्रतिभाग (activism) के लिए आरक्षित नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह का क़ब्ज़ा ग़ैर-क़ानूनी है।
न्यायमूर्ति संजय कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ने कहा कि CAA के विरोध में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे और रास्ते को बंद कर दिया गया था। हालांकि CAA के विरुद्ध कई याचिकाएं कोर्ट में दाख़िल हुए, जो अभी लंबित हैं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट से अलग-अलग फ़ैसला दिया गया।
अदालत ने कहा कि प्राधिकारियों को स्वयं कार्यवाही करनी होगी और वे न्यायपालिका के पीछे छिप नहीं सकते। लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं। न्यायमूर्ति संजय कौल ने कहा कि क़ानून के अंतर्गत सार्वजनिक सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर क़ब्ज़े के अधिकार के antargat प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।
सर्वोच्च न्यायलय ने शाहीन बाग़ में हुए प्रदर्शन पर कहा कि आवागमन का अधिकार अनिश्चितकाल तक रोका नहीं जा सकता। संविधान विरोध करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे समान रूप में कर्त्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, परन्तु ये प्रदर्शन निर्दिष्ट क्षेत्रों में होने चाहिएँ। कोर्ट ने कहा कि शाहीन बाग़ में मध्यस्थता के प्रयास सफल नहीं हुए, किंतु हमें कोई पछतावा नहीं है।
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग़ में 100 से अधिक दिन तक धरना-प्रदर्शन चला था और मुसलमान एक्टिविस्ट्स (ख़ास कर महिलाओं) ने अन्य नागरिकों के लिए रास्ता बंद कर रखा था। तीन महीने से अधिक समय तक नॉएडा, फ़रीदाबाद और दक्षिणी व पूर्वी दिल्ली के निवासी को हर रोज़ सड़कों पर घर से दफ़्तर जाने और वापस आने के लिए घंटों गुज़ारना पड़ता था। समय के अतिरिक्त देश के संसाधन, जैसे इंधन, का भी इस दौरान भारी नुक़सान हुआ।
आगे कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली में लगाए गए धारा 144 के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा दिया। शाहीन बाग़ से प्रदर्शनकारियों को हटाने और सड़क को खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई थी। इस कारण लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।
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