नई दिल्ली — सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के बेटे के ख़िलाफ़ दायर इरोम चित्रा की अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए उस परिवार को सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच ने यह आदेश दिया।
पिछले 5 जून को इरोम चित्रा की अर्ज़ी पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने जो भी आरोप लगाए हैं वे ग़लत हैं। केंद्र सरकार ने कहा था कि राज्य के मुख्य सचिव ने हलफ़नामा दायर कर कहा है कि वे याचिकाकर्ता को सुरक्षा देने को तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इरोम चित्रा से कहा था कि अगर कोई वकील उनका केस लड़ने को तैयार नहीं था तो उन्हें हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस के पास जाना चाहिए था।
पिछले 29 मई को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने जवाब देने के लिए और समय की मांग की थी और कहा कि हम ये जांच करेंगे कि याचिकाकर्ता की शिकायत सही है या नहीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका कोई बिना वजह के दायर नहीं करता है। केंद्र ने कहा था कि वो याचिकाकर्ता को सुरक्षा देने को तैयार हैं। याचिकाकर्ता ने कहा था कि हमें राज्य के सुरक्षा पर भरोसा नहीं है हमें केंद्र की सुरक्षा चाहिए।
पिछले 22 मई को इरोम चित्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेन्च ने केंद्र और मणिपुर सरकार को नोटिस जारी किया था ।
बिरेन सिंह के बेटे अजय मिताई ने 2011 में चित्रा के बेटे इरोम रॉजर को एक रोड रेज की घटना में गोली मार दी थी जिसके आरोप में उसे ग़ैर-इरादतन हत्या के लिए 5 साल के क़ैद की सज़ा मिली। चित्रा ने अपनी याचिका में ग़ैर-इरादतन हत्या की बजाय हत्या का मुक़दमा चलाने की मांग की है। चित्रा का कहना है कि उन्हें और उनके वकील को प्रतिबंधित संगठनों से धमकी मिल रही है।
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