विवादास्पद कार्यकर्ता रेहाना फ़ातिमा को केरल सरकार की संशोधित पॉलिसी के अनुरूप शबरीमला में स्वामी अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुलिस द्वारा सुरक्षा कवच प्रदान करने से इनकार कर दिया गया है। पुलिस ने कहा है कि जब तक सर्वोच्च न्यायलय मासिक ऋतुस्राव की उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर अपना निर्णय स्पष्ट नहीं करता, इन महिलाओं को अय्यप्पा के दरबार में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
सन 1986 में जन्मी रेहाना फ़ातिमा प्यारीजान सुलेमान ने पुलिस सुरक्षा के साथ पिछले साल अक्टूबर में पहाड़ी मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया था, लेकिन भक्तों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद वापस लौटने के लिए मजबूर हो गई थी। इस साल उन्होंने एक आवेदन दायर किया और शनिवार को पुलिस कमिश्नरेट के शीर्ष अधिकारियों से संपर्क किया ताकि उनके लिए पहाड़ी मंदिर के प्रांगन में सुरक्षा बंदोबस्त हो जहाँ 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं का प्रवेश वर्जित हैं क्योंकि इस सम्प्रदाय का मानना है कि यहाँ अय्यप्पा स्वामी चिर-ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं।
अय्यप्पा स्वामी के अन्य मंदिर भी हैं जहाँ किसी भी आयु की महिला का प्रवेश वर्जित नहीं है। सिर्फ़ यही नहीं, दक्षिण भारत में कई मंदिर हैं जहाँ पुरुषों का प्रवेश वर्जित है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पारंपरिक प्रतिबंध हटा दिया था, सर्वोच्च न्यायलय ने हाल ही में अपने फ़ैसले के विरुद्ध समीक्षा याचिका को एक बड़ी बेंच को संदर्भित करने का फैसला किया है जिसके बाद राज्य सरकार ने सतर्क रुख़ अपनाते हुए यह स्पष्ट किया है कि शबरीमला नारीवादी एक्टिविज्म का स्थान नहीं है।
मुद्दे पर सरकार की नीति बहुत स्पष्ट है। मुआमला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। एक अधिकारी ने रविवार को यहां सरकारी पॉलिसी के हवाले से कहा कि चूंकि अदालत स्वयं अपने आदेश की समीक्षा कर रही है कि धर्मस्थल में 10 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी जाए या नहीं, पुलिस के लिए इसकी इजाज़त देना संभव नहीं है।
पुलिस का विषय पर यह कहना है कि अगर वह इस संबंध में शीर्ष अदालत से आदेश प्राप्त करती है तो अधिकारी सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
अधिकारी ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से सभी कू सूचित कर दिया गया है कि शबरीमला में प्रवेश करने के लिए महिला-अधिकार प्रचारकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए क़ानूनी तौर पर राज्य प्रशासन बाध्य नहीं है।
मॉडल व एक्टिविस्ट रेहाना फ़ातिमा को पिछले साल सोशल मीडिया पर अयप्पा भक्तों और शबरीमला के बारे में धार्मिक रूप से विवादास्पद टिप्पणी पोस्ट करके सार्वजनिक शांति को बाधित करने के प्रयास के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। यही नहीं, इस्लाम समुदाय ने भी हिन्दू कर्मकांड में शामिल होने की उनकी कोशिश की भर्त्सना की थी।
रेहाना फ़ातिमा ने कथित नैतिक पुलिस के ख़िलाफ़ 2014 ‘किस अफ़ लव’ आंदोलन में हिस्सा लिया था।