तृणमूल कांग्रेस के बाग़ी नेता शुभेंदु अधिकारी को मनाने की कोशिश पार्टी ने बंद कर दी है। परसों जबकि पार्टी की तरफ़ से यह कहा गया कि उनकी घर वापसी के लिए साड़ी मांगें मान ली जाएंगी, कल यह कहा गया कि पार्टी की तरफ़ से ऐसी कोशिशें अब और नहीं होंगी। इधर ममता बनर्जी मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देने के बाद से शुभेंदु अधिकारी के अगले क़दम पर सभी की नज़र बनी हुई है।
कोलकाता से क़रीब 120 कि०मी० दूर हल्दिया का नज़ारा कुछ और ही है और यहां शुभेंदु अधिकारी के प्रशंसक उन्हें राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। उनके प्रशंसकों को ‘शुभेंदु अधिकारी फ़ॉर सीएम’ के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है। बड़ी संख्या में युवा अपने नेता की फोटो लगी टी-शर्ट पहने औद्योगिक शहर हल्दिया में उनके समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में तृणमूल के वोट शेयर में भारी कटौती और भाजपा को लाभ होना लाज़मी है. और यदि शुभेंदु भाजपा में शामिल होते हैं तो फिर राज्य में सत्ता को चुनौती देने वालों के वारे न्यारे हो सकते हैं।
हल्दिया बंदरगाह के शहर में “आमरा दादार अनुगामी” (हम दादा के अनुयायी) जैसे बड़े कैप्शन के साथ विशाल बैनर्स लगाए गए हैं। साथ ही “बांग्लार महागुरु” के रूप में उनको प्रचारित किया जा रहा है।
शुभेंदु किसी औपचारिक घिश्ना से पहले कारपोरेट जनसंपर्क अभियान के माध्यम से स्वयं को राजनीतिक शक्ति के केंद्र के रूप में प्रदर्शित करना चाह रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है, “चाहे वह बीजेपी में शामिल हों, टीएमसी में लौटें या फिर अपनी ही कोई अलग पार्टी खड़ी करें, हम हमेशा उनके साथ ही रहेंगे।”
बंगाल के पूर्व मंत्री अपने घर पर अपनी ताक़त मज़बूत करना चाहते हैं और सूत्र बताते हैं कि सिंगुर और नंदीग्राम आंदोलन में ममता के सहयोगी रहे शुभेंदु भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से लगातार संपर्क में हैं। अब यह आश्चर्य की बात नहीं कि ममता बनर्जी द्वारा उन्हें मनाने का दायित्त्व सँभालने वाले तृणमूल सांसद सौगत राय ने गुरुवार को इसे “बंद अध्याय” बताया और कहा कि “तृणमूल कांग्रेस एक बहुत बड़ी पार्टी है, जिसके पास ममता बनर्जी जैसा जन नेता है। अगर एक या दो लोग पार्टी छोड़ देते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”
तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, “हमारी पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी ने कल हमें उनके (अधिकारी) साथ आगे कोई बातचीत नहीं करने और राज्य के चुनाव अभियान पर ध्यान केन्द्रित करने का निर्देश दिया। पार्टी के लिए शुभेंदु अधिकारी का चैप्टर बंद हो चुका है। अगर वह कुछ कहना चाहते हैं तो कह सकते हैं. अब सबकुछ उनपर निर्भर करता है।”
मेरी पहचान मैं बंगाल का बेटाः शुभेंदु
जब शुभेंदु अधिकारी से उनकी वर्तमान राजनीतिक स्थिति को स्पष्ट करने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा, “मेरी पहचान है कि मैं बंगाल का एक बेटा और भारत का बेटा हूं।” यह साफ़ दिख रहा है कि शुभेंदु एक अलग राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसके संकेत पिछले महीने ही दिख गए थे जब उन्होंने 10 नवंबर को एक ग़ैर-सियासी विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में तृणमूल का नामोनिशान हैं था।
और अब गुरुवार को उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की जयंती मनाने के लिए दो कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, पहले तमलुक में और फिर पश्चिम मिदनापुर जिले से सटे गरबेता में। लेकिन नंदीग्राम के एक पूर्व सहयोगी द्वारा हल्दिया में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में वह शामिल नहीं हुए जहां तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष मौजूद थे। घोष ने कहा कि शुभेंदु तृणमूल में एक उपेक्षित या किनारे किए गए सदस्य नहीं थे। वह एक मंत्री होने के अलावा, हल्दिया विकास प्राधिकरण और एचआरबीसी के प्रमुख भी थे।
दूसरी ओर बीजेपी नेताओं का कहना है कि शुभेंदु का लगातार अपमान हो रहा है और उन्हें तृणमूल छोड़ देना चाहिए।
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