पंजाब सरकार ने गुरुवार को राज्य के संगरूर जिले में पिछले दिनों हिंसा के शिकार हुए दलित जगमेल सिंह की विधवा को ग्रुप-डी की नौकरी का नियुक्ति पत्र दे दिया। पिछले 7 नवंबर को आक्रान्ताओं ने जगमेल को अपने घर बुलाया था। फिर खंभे से बांध कर उसे लोहे की छड़ से उसकी ख़ूब पिटाई की थी। पानी मांगने पर उसे पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया था। बाद में अस्पताल में उसने अपना दम तोड़ दिया।
आज पंजाब के मंत्री विजय इंदर सिंगला ने यहां एक बयान में कहा कि सिंह की पत्नी मनजीत कौर एक सरकारी स्कूल में चपरासी के पद पर तैनात होंगी। गुरुवार को संगरूर में अपने पति की मृत्यु के बाद की रस्मों के दौरान कौर को नियुक्ति पत्र दिया गया था।
पंजाब के मंत्री सिंगला आज चांगालीवाला गाँव में जगमेल सिंह की आत्मा की तृप्ति के लिए आयोजित अंतिम अरदास में शामिल हुए जहाँ उन्होंने राज्य सरकार द्वारा घोषित परिवार के सदस्यों को वित्तीय सहायता के रूप में रु० 14 लाख का चेक सौंपा। इसके अलावा घर की मरम्मत के लिए परिवार को रु० 1.25 लाख का चेक भी दिया गया। सरकार ने पहले ही परिवार को रु० 6 लाख दे दिए थे।

उसी गाँव के रहने वाले रिंकू के साथ 21 अक्टूबर को जगमेल सिंह की किसी मुद्दे पर झगड़ा हो गया था। जगमेल के बड़े भाई गुरतेज ने अनुसूचित जाति आयोग को बताया कि दो साल पहले अभियुक्तों ने उसपर भी हमला किया था और उसकी बांह तोड़ दी थी। खैर, ग्रामीणों के हस्तक्षेप से 21 अक्टूबर को बात बढ़ने नहीं दी गई; मुआमला उस वक़्त के लिए शांत हो गया।
पर 7 नवम्बर का हमला जानलेवा था। पीजीआईएमईआर में 16 नवंबर को जगमेल सिंह ने दम तोड़ दिया। संक्रमण के कारण उसके पैरों को काटना पड़ा लेकिन फिर भी उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।
शोक संतप्त परिवार के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए आज सिंगला ने कहा कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के निर्देश के अनुसार पीड़ित परिवार को रु० 21.25 लाख की कुल वित्तीय सहायता दी गई है।
पंजाब के मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्थानीय पुलिस ने अदालत में सात दिनों के भीतर चालान दायर किया था।
पूरी कानूनी प्रक्रिया तीन-चार महीने में पूरी हो जाएगी। मंत्री ने संवाददाताओं को बताया कि पंजाब सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है कि वह राज्य में क़ानून व्यवस्था बनाए रखे ताकि भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
रिंकू के परिवार वालों का कहना है कि जगमेल आए दिन शराब के नशे में धुत्त आते-जाते लोगों को गलियां दिया करता था, जिसकी पुष्टि अन्य गाँव वालों से भी हुई। पर गाँव के लोगों ने यह भी कहा कि रिंकू का परिवार गुंडागर्दी के लिए बदनाम है और इन दिनों उस परिवार के लोग कहते फिर रहे हैं कि दौलत के दम पर वे रिंकू को हिरासत से छुड़वा लेंगे।
हालांकि घटना से अनुसूचित जाति आयोग हरकत में आ गया, अब तक ऐसे सबूत नहीं मिले हैं कि इस हिंसक घटना को जातिवाद के कारण अंजाम दिया गया था।
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