नई दिल्ली — प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की उन्मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए उनको पिता समान बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे प्रणब दा की उंगली पकड़ के दिल्ली की तेज़ भागती ज़िन्दगी में अपने आपको व्यवस्थित करने का अवसर मिला।
रविवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की तस्वीरों पर आधारित एक प्रेसिडेंट — अ स्टेटसमैन नामक पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मुखर्जी ने ‘मुझे पिता की तरह रास्ता दिखाया। जब भी मैं प्रणव दा से मिला वह एक पिता की तरह मुझसे पेश आते हैं।’
संबोधन के दौरान भावुक होते हुए मोदी ने कहा कि कोई पिता अपने संतान की जैसे देखभाल करता है, प्रणव दा उसी तरह मेरा भी ख़याल करते रहे हैं। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति और अपने बीच के संबंधों का ज़िक्र करते हुए आगे कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान तो ‘मैं जब उनसे मिलता तो वह कहते मोदी जी आधा दिन तो आराम करना ही पड़ेगा। अपने कार्यक्रम में कुछ कटौती करो। तुम अपनी तबीयत का ख्याल रखो। जीत और हार तो चलती रहती है लेकिन शरीर का ख़याल करोगे या नहीं।‘ मोदी ने कहा कि प्रणव दा का यह व्यक्तित्व, संबंध ‘मेरे लिए एक प्रेरणा का काम करता है।’
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि ‘मेरे जीवन का बड़ा सौभाग्य रहा कि मुझे प्रणव दादा की उंगली पकड़ कर दिल्ली की ज़िन्दगी में स्वयं को स्थापित करने की सुविधा मिली।
इस अवसर पर मोदी ने आपातकाल से जुडे अपने अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान भी उन्हें कई अन्य विचारधारा के लोगों के साथ काम करने का मौक़ा मिला।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें सामान्य से दिखने वाले राष्ट्रपति देखे हैं लेकिन जब फोटो के रूप में एक किताब छपती है तो हमें पता चलता है कि मेरे देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एक बालक की तरह हंसते हैं। चाहे किसी देश का बड़े से बड़ा राष्ट्रप्रमुख ही क्यों ना आए। उस तस्वीर को देखकर पता चलता है कि हमारे राष्ट्रपति का आत्मविश्वास कितना मज़बूत है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व होता है। राष्ट्रपति के अंदर भी एक इंसान होता है। ये चीजें कैमरा से पता चलती हैं।
वहीं राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री की सराहना की। उन्होंने कहा कि ‘मैं प्रधानमंत्री के प्रति अपना गहरा आभार और प्रशंसा व्यक्त करता हूं। हमने क़रीबी सहयोगी की तरह काम किया है।’ राष्ट्रपति ने कहा कि निश्चित रूप से हमारे विचारों में भिन्नताएं हैं, किंतु इसका असर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के रिश्तों पर नहीं पड़ा