जबसे यह समाचार आया है कि मैडम टुसाड में फिल्म अभिनेत्री दीपका पादुकोण की प्रतिमूर्ति लगने वाली है, संग्रहालय के पास उन फिल्म कलाकारों का तांता लग गया है जो अपनी प्रतिमूर्ति लगवाने के लिए आवेदन देना चाहते हैं। दीपिका की प्रतिमूर्ति दिल्ली और लंदन, दोनों ही शाखाओं में लगेगी। यह खबर सुनकर पूरे बॉलीवुड में उत्साह का माहौल है।
दरअस्ल बात यह है कि मैडम टुसाड को विश्व का एक प्रतिष्ठित संस्थान माना जाता रहा है जिसमें स्थान पाना न केवल गौरव का विषय था अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी उपलब्धि और आपके योगदान का सत्यापन भी माना जाता था। मार्टिन लूथर किंग, महात्मा गांधी, जॉन कैनेडी, माइकल जैकसन, अमिताभ और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों के बीच जगह बनाना अपने आप में सम्मान का विषय हुआ करता था। पर हाल के समय में सलमान खान, कटरीना कैफ और करीना कपूर आदि के इस सूची में शामिल होने से इस संग्रहालय की विश्वसनीयता का वही हाल हुआ है, जो सैफ अली खान और संजय लीला भंसाली जैसे कलाकारों को मिलने के बाद पद्म-पुरुस्कारों का हुआ था।
अब जिस प्रकार से मूर्तियों के लिए चुनाव हो रहे हैं, डर है कि कहीं महान हस्तियाँ अपनी मूर्तियों को वहाँ से हटाने की मांग न कर दें। अगर ऐसे ही चलता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब फरदीन खान और तुषार कपूर अमिताभ बच्चन के साथ खड़े नजर आएंगे। पता नहीं तेज प्रताप यादव और हार्दिक पटेल की मूर्तियों को अपने पास खड़े देख महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग की आत्मा पर क्या बीतेगी। बहरहाल म्यूज़ियम के प्रवक्ता ने ऐसी किसी भी खबरों को निराधार बताया है, जिसमें इन महान विभूतियों की मूर्तियाँ हटाने की मांग की गई हो!
हमने दिल्ली के मैडम टुसाड की चयन समिति से बात करने का प्रयास किया। वहाँ के एक सफाई कर्मचारी ने गोपनीयता की शर्त पर हमें बताया: “आपको लगता है कि यहाँ कोई चयन समिति होगी? अगर होती, तो जिस तरह की विभूतियों के पुतले यहाँ लगाए जा रहे हैं, क्या वो लगाए जा सकते थे?” सफाई कर्मचारी के अनुसार वहाँ जितने भी चयन के आवेदन आते हैं, वो खुद गार्ड और माली के साथ मिलकर उनकी छंटनी करता है। “जितने भी आवेदन आते हैं, हम पहले उनकी पर्चियाँ बनाते हैं, और फिर सिक्का उछालकर निर्णय करते हैं, कि किसकी मूर्ति लगेगी, किसकी नहीं” – उसने खैनी को हाथों के बीच ज़ोर से रगड़ते हुए कहा।
क्योंकि इस संग्रहालय के सफाई कर्मचारी, गार्ड, माली, कैंटीन ब्वॉय और पार्किंग स्टाफ वही हैं जो रीगल सिनेमा में हुआ करते थे, इसलिए भावनात्मक रिश्ता होने के कारण वो फिल्म उद्योग से आने वाले किसी भी आवेदन को अस्वीकार नहीं करते। जब उनसे पूछा गया कि यदि कल को दीनो मोरिया और कमाल खान भी अपना पुतला बनवाने आ गए, तो क्या करोगे, तो पार्किंग ब्वॉय ने भावुक होकर कहा: “दीनो मोरिया जी से तो मेरा दिल का रिश्ता है। जब भी उनकी कोई फिल्म रीगल सिनेमा हाल में लगती थी, तो पूरी पार्किंग खाली रहती थी। शो बंद न करना पड़े, इसलिए हम सभी स्टाफ के लोग ही हाल में बैठकर फिल्म देखते थे। कसम से, बड़ी अच्छी नींद आती थी।”
जब हमने प्रबंधन से यह जानने की कोशिश की, कि यह प्रतिमूर्तियाँ बनाने के लिए कच्चा माल कहाँ से आता है, तो पहले तो वो कुछ हिचकिचाए। पर जब हमने उन्हें आश्वासन दिलाया कि हम पर्यावरण विभाग से नहीं आए हैं, तो उन्होंने धीरे से कान में बताया: “हमने दिल्ली में संग्रहालय खोलने का निर्णय इसीलिए लिया था, कि यहाँ कच्चे माल की आपूर्ति बहुत आसानी से, और सस्ते दाम में हो जाती है। जब से दिल्ली में नई सरकार आई है, दिल्ली में आधे समय बिजली नहीं आती। ऐसे में दिल्ली वाले मोमबत्ती जलाने पर मजबूर हैं। उनके पास बहुत सी मोमबत्तियाँ अधजली बच जाती हैं। इन सबका मोम हमें मुफ्त में ही मिल जाता है। दिल्ली में वाई-फाई मुफ्त मिले न मिले, दवाईयां मुफ्त मिले न मिले, मोम तो मुफ्त मिल ही रहा है। साथ ही मोमबत्ती गैंग भी आजकल बहुत सक्रिय है। देश में चाहे कहीं भी कुछ भी हो, पहुँच जाते हैं मोमबत्ती लेकर जंतर-मंतर। उनसे भी काफी मोम मिल जाता है।”
हम दिल्ली के मुख्यमंत्री से भी उनके विचार लेने गए। उन्होंने कहा: “मोदी जी मेरा पुतला नहीं बनने दे रहे जी। मोदी जी मुझसे डरते हैं।” जब हमने उन्हें बीच में ही टोककर कहा कि आपने विचार म्यूज़ियम के बारे में नहीं, पर दिल्ली कि बिजली की खराब हालत के बारे में चाहिए, तो उन्होंने कहा कि वो सबूत जो उन्होंने चुनाव से पहले दिखाकर कहा था कि वो अपनी सरकार बनते ही बिजली कंपनियों का ऑडिट कराएंगे, वो शीला दीक्षित के सबूतों के साथ ही खो गए हैं। इसलिए वो जांच नहीं करवा पाए, और न ही दिल्ली को बिजली दिलवा पा रहे हैं।
ताज़ा समाचारों के अनुसार तुषार कपूर और राखी सावंत को म्यूज़ियम के अंदर जाते हुए देखा गया है।