आज सूरज की पहली किरण
क्या मुझसे कुछ कह रही है?
पलकें झपक-झपक कर
क्या मुझसे कुछ कह रही हैं?
हाँ ज़िंदा हूँ मैं…
सासें कुछ ऐसा कह रही हैं
क्यों मैं भाग रही थी ….
जाने क्या चाह रही थी…..
आज दिल की धड़कनें भी
क्या मुझसे कुछ कह रही हैं?
चिड़ियों का चहचहाना …
बच्चों का खिलखिलाना…
जाने क्यों अच्छा लग रहा है?
बचपन की वो यादें, नानी का घर…
जाने क्यों याद आ रहा है?
आँगन में यूँ टहलते…
पड़ोसी भी दिख रहे हैं…
जाने क्यूँ सब आज, अपने से लग रहे हैं
सपनो की दौड़ में जो…
छोड़ आए थे रास्ते
वो भीड़ , वो लोग…
जाने क्यूँ वो गलियाँ…
ख़ाली सी लग रही हैं
जाने क्यों ना रुके हम…
कहने सुनने को इक पल
आज रुके भी तो जिस पल
ये अंधेरा, ये सन्नाटा…
क्या मुझसे कुछ कह रहा है?
ज़िंदगी की दौड़ में — थम जा!
प्रकृति की गोद में — रम जा!
देख ले ये बादल…
छू ले ये बारिश…
सितारों की महफ़िल…
लहरों की कशिश
क्या मुझसे कुछ कह रही है?
रोक लूँ इस पल को
इस प्रहर को, ज्वाला को!
प्यार से, नमन से…
एकता और प्रबल से!
तूफ़ाँ को तो थमना है
ऐसा हमने ठना है…
पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा
क्या मुझसे कुछ कह रहा है?
एहसास इक नया सा
क्या मुझसे कुछ कह रहा है ?
छट रहे हैं काले बादल
देख वो नीला आसमाँ
वो सूरज की गरिमा
वो मिट्टी की ख़ुशबू
नई किरण
नया सवेरा
एहसास इक नया सा
नई किरण, नया सवेरा, एहसास इक नया सा
Similar Articles
Comments
Advertisment
You must log in to post a comment.