नई दिल्ली — सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ एम एस स्वामीनाथन ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में विकास के लिए कृषि के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का विकास इस तरह से किया जाए ताकि महिलायें आसानी से इसका उपयोग कर सकें और ग़रीब किसान इसका समुचित लाभ उठा सकें।
डॉ. स्वामीनाथन ने भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद की ओर से कृषि क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी से संबंधित एक कार्यदल की शुरुआत करने के बाद मंगलवार को यह बात कही।
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, ‘कृषि आर्थिक रुप से लाभदायक नहीं रही। जिसके कारण आज की युवा पीढ़ी इसमें नहीं आना चाहती है। इसलिए कृषि के क्षेत्र में समुचित विकास और इसे लाभदायक बनाने के लिए सस्ते और गरीब किसानों के अनुकूल सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की जरुरत है।’
डॉ. स्वामीनाथन ने गांव स्तर पर ‘नालेज सेंटर’ की स्थापना पर जोर देते हुए कहा कि इससे किसानों को मौसम, वर्षा की मात्रा, सूखे की स्थिति, बाजार और फसल के रोग की जानकारी आसानी से मिल जाएगी।
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि कृषि के लिए पानी बहुत जरुरी है और कई स्थानों पर इसकी कमी हो रही है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का विकास होना आवश्यक हो गया है। ताकि आवश्यकता के हिसाब से फसलों की सिंचाई कम्प्यूटर आधारित हो सके और उसे महिलायें भी संचालित कर सकें।
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि इजरायल के पास बहुत कम मात्रा में पानी है लेकिन वह इसका बेहतरीन तरीके से उपयोग करता है। इस समय पीएम नरेन्द्र मोदी इजरायल गये हुए हैं और हमें आशा है कि पानी के उपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच अवश्य आपसी सहमति बनेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। इस पर इंटरनेट के माध्यम से तमाम नई जानकारी आसानी से उपलब्ध करवाई जा रही है।
वहीं कृषि मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अशोक दलवई ने कहा कि सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके मद्देनजर कृषि विस्तार और फसलों के पक कर तैयार होने के बाद की व्यवस्था पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी की जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए ‘आत्मा’ की स्थापना की गई है। लेकिन कई राज्यों में इसकी स्थिति ठीक नहीं है।
डॉ. दलवई ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र, राज्य और जिला स्तर पर 800 पोर्टल प्रारम्भ किये गये हैं। इसके साथ ही कृषि मंत्रालय की ओर से 80 पोर्टल जारी किये गये हैं। जिसके माध्यम सें 22 भाषाओं में लोगों को जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है। अब सिंचाई के लिए ड्रिप और छिड़काव विधि से आगे बढ़कर देश को ड्रोन और सेंसर के उपयोग करने की आवश्यकता है।
डॉ. दलवई ने कहा कि देश में 48 प्रतिशत लोग कृषि से जुड़े हैं। इनमें से आधे किसान गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। इसलिये जरुरी है कि कम से कम लागत में अधिक से अधिक उत्पादन मिले ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।
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