बिहार के मुंगेर में दशहरा पर मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई फायरिंग में मौत मामले में चुनाव आयोग ने 29 अक्टूबर को बड़ी कार्रवाई की है। लोगों के रोष को देखते हुए महकमे ने यहां के डीएम और एसपी दोनों को हटा दिया है। इससे पहले 29 अक्टूबर की सुबह नाराज लोगों ने जिला मुख्यालय स्थित एसपी कार्यालय और एसडीओ आवास में जमकर तोड़फोड़ की। इस दौरान कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। थाने पर पथराव किया गया है।
एसपी लिपि सिंह को जनरल डायर कह रहे लोग
एसपी लिपि सिंह की तुलना लोग जनरल डायर से कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि लिपि सिंह बेहद क्रूर किस्म की पुलिस अधिकारी हैं। लोगों का आरोप है कि लिपि सिंह ने जलियांवाला बाग कांड की तरह निहत्थे लोगों पर गोलियां और लाठी चलाने के आदेश दे दिए। मुंगेर जिले की पुलिस अधीक्षक लिपी सिंह नीतीश के विश्वासपात्र माने जाने पूर्व आईएएस अधिकारी एवं जेडीयू के राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह की नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी की बेटी हैं।
मूर्ति विसर्जन के दौरान लाठीचार्ज के खिलाफ 29 अक्टूबर को लोगों की भीड़ सड़क पर उतर आई। प्रदर्शनकारी 26 अक्टूबर को फायरिंग में एक शख्स की मौत का विरोध कर रहे थे। भीड़ धीरे-धीरे एसडीओ और एसपी एसपी ऑफिस की तरफ बढ़ गई। इस दौरान भीड़ हिंसक हो गई और उन्होंने तोड़फोड़ शुरू कर दी। आक्रोशित भीड़ ने कुछ वाहनों का आग भी लगा दी।
विपक्ष ने घेरा
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के दिन 28 अक्टूबर को मुंगेर की घटना को लेकर विपक्ष ने प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार पर जोरदार हमला बोला। उसने 26 अक्टूबर की रात को देवी दुर्गा की मूर्ति विर्सजन के दौरान हुई झडप में कथित तौर पर पुलिस गोलीबारी में एक युवक की मौत को जलियांवाला बाग जैसी घटना बताया। मुंगेर जिले के कोतवाली थाना अंतर्गत दीन दयाल उपाध्याय चौक पर सोमवार देर रात देवी दुर्गा की मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई गोलीबारी और पथराव में एक व्यक्ति की मौत हो गई और सुरक्षाकर्मियों सहित दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे।
स्थानीय लोगों ने पुलिस की गोलीबारी में 20 साल की उम्र के एक युवक की मौत का आरोप लगाया। मुंगेर के जिलाधिकारी राजेश मीणा ने कहा था कि वह भीड़ के बीच से किसी के द्वारा चलाई गई गोली से मारा गया था।
घटना के बाद पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने कहा था, ‘कुछ असामाजिक तत्वों ने दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान पथराव किया, जिसमें 20 जवान घायल हो गए। भीड़ की तरफ से भी गोलीबारी की गई जिसमें दुर्भाग्य से एक व्यक्ति की मौत हो गई।’
घटना के एक कथित वीडियो में सुरक्षाकर्मियों को विसर्जन जुलूस में लोगों के एक समूह पर लाठी चार्ज करते दिखाया गया था। साथ ही सोशल मीडिया पर एक विचलित करने वाली तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें इस घटना में मारा गया व्यक्ति खोपडी के खुले हिस्से के साथ जमीन पर बेसुध पड़ा नजर आ रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार विसर्जन के लिए दुर्गा की मूर्ति ले जाने के दौरान एक बांस के वाहक के टूट जाने के बाद परेशानी शुरू हो गई थी और इसे ठीक करने में समय लग रहा था।
मूर्ति को ले जाने वाले वाहक की मरम्मती में हुई देरी के कारण अन्य निकाले गए मूर्ति जुलूस रास्ते में फंसे हुए थे। प्रशासन चाहता था कि जुलूस जल्दी से जल्दी निकले क्योंकि सुरक्षाकर्मियों को बुधवार को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया जाना था। घटना के बाद जिले में तनाव बढ़ गया है और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए भारी पुलिस की तैनाती से ऐसा लग रहा है कि मुंगेर जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में 28 अक्टूबर को हुई मतदान पर इसका असर पड़ा है।
आरसीपी सिंह का भी विरोध
बेगूसराय जिले में आरसीपी सिंह के 28 अक्टूबर को पहुंचने पर आक्रोशित पदर्शनकारियों ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। जिले में दूसरे चरण में 3 नवंबर को मतदान है। केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने मुंगेर की घटना की निंदा करते हुए कहा था कि अधिकारी चाहे कितने भी रसूख वाला हों, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
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