नई दिल्ली — केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक टीम ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) जाकर पिछले वर्ष 16 अक्टूबर को छात्रावास से छात्र नजीब अहमद के लापता होने की घटना की जांच शुरू की। जांच दल नजीब की माही मांडवी छात्रावास में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों के साथ हुए झगड़े और उसके लापता होने के कारणों की वजह जानने की कोशिश कर रहा है।
अहमद एमएससी बायोटैकनॉलजी के पहले साल का विद्यार्थी है। वह 13 अक्टूबर 2016 को छुट्टी से विश्वविद्यालय लौटा था। उसने अपनी मां को 15-16 अक्टूबर की रात में फ़ोन पर कुछ गड़बड़ होने की सूचना दी थी।
बाद में उसके कमरा नंबर 106 में साथ रहने वाले दूसरे छात्र ने फ़ातिमा को बताया था कि वह मारपीट में घायल हो गया है। इसके बाद फ़ातिमा बुलंदशहर से बस पकड़ कर दिल्ली पहुंची। आनंद विहार बस अड्डे से उन्होंने नजीब को एक होटल में मिलने को बुलाया। पर जब जगह वह नहीं पहुंचा तो वह उसके छात्रावास पहुंची जहां से वह लापता बताया गया।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अध्यापक संघ (JNUTA – जेएनयूटीए) ने प्रशासन को इस मुद्दे के प्रति बेरुख़ी और पक्षपाती प्रबंधन के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है। जेएनयू अध्यापक संघ ने यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गई 25-बिन्दु बुलेटिन की भी आलोचना की है कि वह जानबूझकर यह तथ्य छोड़ दिया है कि एक रात पहले हुए झगड़े के दौरान अहमद पर हमला किया गया था। नजीब अहमद की माँ फ़ातिमा नफ़ीस ने जेएनयू के प्रशासन पर यह आरोप लगाया है कि वे असंवेदनशील हैं।
प्रदर्शन में जेएनयू विद्यार्थियों ने जेएनयूटीइए प्रशासनी इमारत को 20 घंटे घेरी रखा। नजीब के माँ-बाप की शिकायत के आधार पर वसंत कुंज पुलिस ने एक अगवा और ग़लत क़ैद कर रखने के लिए एफ़आईआर दायर की। यह ख़बर फैल गई कि अहमद के जीवन का अंत करने की एक कोशिश की गई थी। यह भी ख़बर है कि हो सकता है अहमद किसी छोटे से शहर में गुप्त तौर पर रहने के लिए चला गया हो।
अहमद के हॉस्टल कमरों में मिले नुस्ख़ों से पता चलता है कि यह जेएनयू विद्यार्थी का लापता होने से पहले डिप्रेशन और ऑब्सेसिव-कम्पलसिव विकार (ओसीडी) के लिए इलाज किया जा रहा था।
पुलिस ने अहमद के ठिकाने के बारे में जानकारी देने के लिए रु० 1,00,000 के इनाम का ऐलान किया। दिल्ली पुलिस की एक ख़ास परीक्षक टीम (एसआईटी) भी इस केस की जाँच कर रहा था। बिल आख़िर दिल्ली पुलिस भी उसे ढूंढने में असमर्थ रही।
फिर 16 मई को दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए नजीब अहमद का केस दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंप दिया। अदालत ने केस सीबीआई को सौंपते हुए विशेष निर्देश दिए थे कि केस की जांच की अगुआई कम से कम डीआईजी रैंक के अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह आदेश नजीब की माँ द्वारा लगाई गई याचिका पर दिया था।
हाल ही में नजीब की मां फ़ातिमा नफ़ीस ने सीबीआई के अधिकारियों से मुलाक़ात कर उनके लापता पुत्र को खोजने का अनुरोध किया था।
मुआमले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।
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