नई दिल्ली — केरल में हो रहे संघ कार्यकर्ताओं की हत्या और जानलेवा हमलों की बढ़ती घटनाओं से चिंतित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने वाम-शासित राज्य में संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए उच्चतम और उच्च न्यायालय की निगरानी में उक्त घटनाओं की जांच कराये जाने की मांग की है। साथ ही संघ ने माना कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने शुक्रवार को यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य में संघ कार्यकर्ताओं पर हो रहे जानलेवा हमलों और उनकी हत्या की घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि जब भी केरल में कम्युनिस्ट सरकार आती है संघ कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि केरल में पिछले 13 माह में 14 हत्याएं हुई हैं। उन्होंने पी विजयन की अगुवाई वाली राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह सूबे में वामपंथी तालिबान को रोकने के लिए सख्त कदम उठाये।
संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने संघ के स्वयंसेवकों पर हो रहे हमलों को राज्य समर्थित करार देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय की सुपरविजन में इन मामलों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या केरल में राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ताओं को काम करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि 13 महीने में 14 हत्याएं हुई। ऐसी राज्य समर्थित हत्याओं को देखकर क्या देश चुप रहेगा।
होसबोले ने कहा कि केरल में संघ कार्यकर्ताओं की हत्या का सिलसिला थम नहीं रहा। हमने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा, गृहमंत्री से भी मिले। उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ द्वारा हमलों के संबंध में केरल के मुख्यमंत्री से बातचीत के कदम की सराहना की। उन्होंने कहा कि संघ ने अक्टूबर 2016 में अपनी अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में केरल में सीपीएम द्वारा संघ के स्वयंसेवकों पर हो रहे हमलों के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया था। इस वर्ष फरवरी और मार्च में स्वयंसेवकों ने कई नागरिक संगठनों के साथ संयुक्त रूप से दिल्ली के जंतर-मंतर से लेकर पूरे देश में 200 से अधिक स्थानों पर प्रदर्शन किया।
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