मुंबई — फ़िल्म इंदु सरकार के निर्माता-निर्देशक मधुर भंडारकर ने मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम की उस मांग को बेतुका बताया है जिसमें संजय ने सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पहलाज निहलानी को पत्र लिखकर मांग की थी कि फ़िल्म को सेंसर सार्टिफिकेट दिए जाने से पहले कांग्रेस के नेताओं के लिए एक शो किया जाए ताकि पार्टी सुनिश्चत कर सके कि इस फ़िल्म में पार्टी और पार्टी के नेताओं की छवि को धूमिल न किया गया हो।
निहलानी की ओर से अब तक संजय निरुपम द्वारा लिखे पत्र का न तो कोई जवाब दिया गया है और न ही पहलाज निहलानी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी है लेकिन भंडारकर ने इस पत्र को ख़ारिज करते हुए निरुपम की मांग को बेतुका ठहराया है। मधुर का कहना है कि ऐसी कोई परंपरा नहीं है कि सेंसर बोर्ड इस तरह से किसी फ़िल्म का शो रखे। मधुर कहते हैं कि सेंसर बोर्ड अपने दिशा निर्देश के साथ किसी फ़िल्म को लेकर फ़ैसला करता है जो सबको मान्य होता है। कांग्रेस के नेताओं को सेंसर बोर्ड पर भरोसा रखना चाहिए।
भंडारकर ने साफ़ शब्दों में कहा कि इस तरह से किसी पार्टी के नेताओं को फ़िल्म दिखाने का कोई औचित्य नहीं रहेगा और वे ऐसा नहीं करेंगे। मधुर की यह फ़िल्म 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू किए जाने की घटनाओं पर आधारित है। फ़िल्म में कथित तौर पर सुप्रिया विनोद का गेटअप इंदिरा गांधी जैसा है जबकि नील नितिन मुकेश का गेटअप संजय गांधी जैसा है — जो आपातकाल के फ़ैसलों को लेकर उस वक़्त बहुत चर्चित रहे थे।
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