भारतीय ऑटोमोबाइल बाज़ार में वाहनों की सुरक्षा का मुद्दा हाल में ग़लत कारणों से सुर्ख़ियों में छाने के बाद और ख़ास कर देश की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी मारुति सुज़ुकी की हैचबैक कार Maruti Suzuki S-Presso (मारुति सुजुकी एस-प्रेसो) Global NCAP (ग्लोबल एनसीएपी) की सुरक्षा रेटिंग के क्रैश टेस्ट में एक भी स्टार हासिल करने में नाकाम रहने के बाद अब सरकार वाहनों की सुरक्षा को लेकर मुस्तैद दिख रही है।
सरकार ने 9 फरवरी को उन रिपोर्ट पर चिंता जताई कि भारत में ऑटोमोबाइल विनिर्माता जानबूझकर कमतर सुरक्षा मानकों वाले वाहनों को वाहन बेच रहे हैं और इसे तत्काल बंद करने के लिए कहा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव गिरधर अरमने ने ऑटो विनिर्माताओं के संगठन सिआम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि सिर्फ कुछ विनिर्माताओं ने ही वाहन सुरक्षा रेटिंग प्रणाली को अपनाया है और वे भी केवल अपने महंगे मॉडलों के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने कहा, “मैं कुछ समाचारों से बेहद विचलित हूं, कि भारत में ऑटो विनिर्माता जानबूझकर सुरक्षा मानकों को कम रखते हैं। इस चलन को बंद करने की ज़रूरत है।” अरमने ने कहा कि वाहन विनिर्माता सड़क सुरक्षा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और भारत में उन्हें सबसे अच्छी गुणवत्ता के वाहन की पेशकश में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी विनिर्माताओं को अपने सभी वाहनों के लिए सुरक्षा रेटिंग देनी जरूरी है, ताकि उपभोक्ताओं को यह पता चल सके कि वे क्या ख़रीद रहे हैं।
वीकल सेफ्टी ग्रुप ग्लोबल एनसीएपी ने अपने टेस्ट में पाया है कि भारत में बेचे जा रहे कुछ मॉडल्स में सुरक्षा मानक निर्यात किए जाने वाले मॉडलों की तुलना में कम है। भारत और अमेरिका का उदाहरण देते हुए अरमने ने कहा कि 2018 में अमेरिका में 45 लाख दुर्घटनाओं में 36560 लोग मारे गए जब कि भारत में केवल 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 लाख लोग मारे गए। अमेरिका में भारत से 10 गुना ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं जबकि भारत में कम रफ़्तार के बावजूद 5 गुना ज्यादा लोग मारे गए।
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