नई दिल्ली— केंद्र सरकार ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के संबंध में नया प्रस्ताव मांगा है। केंद्र का तर्क है कि कर्नाटक की पिछली सरकार ने इस संबंध में प्रस्ताव भेजा, जिसका कार्यकाल समाप्त हो गया है। अब नई विधानसभा का गठन हुआ है, इसलिए मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को एक नया प्रस्ताव भेजना होगा।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश मंजूर कर ली थी। इसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा था। क्योंकि अलग धर्म का दर्जा देने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है।
राज्य सरकार केवल इसकी अनुशंसा कर सकती है। इस मामले में गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कर्नाटक सरकार की मांग पर प्रक्रिया पिछले हफ्ते तक चल रही थी, लेकिन अब राज्य में एक नई सरकार का गठन हो चुका है। इसलिए यह सुझाव दिया गया था कि मामले की जांच से पहले नवगठित कुमारस्वामी सरकार से एक नया प्रस्ताव लिया जाए।
सूत्रों के अनुसार सैद्धांतिक तौर पर भाजपा लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का विरोध कर रही है। कर्नाटक चुनावों के दौरान आए इस प्रस्ताव की चुनौती और वोट खो देने के डर के बावजूद भाजपा ने लिंगायत को अल्पसंख्यक का दर्जा देने पर सहमति नहीं जताई। ऐसे में केन्द्र सरकार को दोबारा प्रस्ताव भेजने को कहना सवाल खड़े करता है।
माना जा रहा है कि जनता दल सेकुलर लिंगायत को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के पक्ष में नहीं है जबकि सरकार में शामिल कांग्रेस दोबारा प्रस्ताव भेजने का दवाब बनाएगी। इसके चलते नई सरकार के सामने चुनौती खड़ी हो जाएगी।