आईएनसी अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में सदर सीट से विधायक अदिति सिंह ने अब अपनी अलग राह चुन ली है। उन्होंने अपने ट्वीटर प्रोफाइल से आईएनसी हटा दिया है। उन्होंने अपनी प्रोफाइल बदली तो ट्वीटर ने ब्लू टिक भी हटा दिया है। सियासी गलियारे में अदिति के इस कदम को मध्य प्रदेश के पूर्व आईएनसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नक्शे कदम पर चलना बताया जा रहा है।
रायबरेली सदर से आईएनसी के टिकट पर 2017 में पहली बार विधायक बनीं अदिति सिंह की गिनती गांधी परिवार के नजदीकियों में होती थी। अदिति सिंह ने 2 अक्तूबर को हुए विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लिया था आईएनसी ने इसमें भाग न लेने के लिए व्हिप भी जारी किया था। इसी को लेकर आईएनसी ने विधानसभा अध्यक्ष के यहां उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए याचिका दे रखी है।

प्रवासी मजदूरों की बस द्वारा अवाजाही के प्रकरण मामले में विधायक अदिति सिंह ने आईएनसी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने ट्विट कर कहा था कि आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत, एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 ऑटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई।”
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अदिति सिंह ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब आईएनसी सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बार्डर तक ना छोड़ पाई, तब योगी आदित्यनाथ ने रातों-रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी पहले अपना ट्वीटर प्रोफाइल व बायो बदला था, इसके बाद पार्टी भी बदलकर राजनीति में भूचाल मचा दिया था। इसके बाद एमपी की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। अदिति के इस कदम के पहले से ही पार्टी व महिला विंग के महासचिव पद से निलंबित किए जाने की चर्चा थी। प्रदेश आईएनसी से लेकर राष्ट्रीय स्तर के किसी नेता ने अदिति सिंह पर अभी किसी तरह की कार्रवाई की पुष्टि नहीं की है।
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केंद्र सरकार ने पिछले साल जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 व धारा 35 ए हटाया तो अदिति सिंह ने पार्टी लाइन से इतर सरकार का खुलकर समर्थन किया था। इसके बाद आईएनसी ने उन्हें नोटिस दिया था।
आईएनसी विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ने यह स्पष्ट किया कि बस प्रकरण में किए गए ट्वीट के बाद अदिति सिंह को कोई नोटिस नहीं भेजा गया। उन्होंने बताया कि अदिति की विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष के पास नवंबर 2019 में पत्र भेजा था। इस बारे में दो बार रिमाइंडर भी भेजा जा चुका है पर फैसला नहीं हुआ।
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