नई दिल्ली — सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार छोटे या मझौले अखबारों पर कार्रवाई नहीं कर रही है| केवल उन्हीं अखबारों पर कार्रवाई होगी जो केवल फाइलों में छपते हैं।
दिल्ली में अपने अन्य मंत्रालय से जुड़ी एक प्रेसवार्ता में वेंकैया नायडू ने कहा, ‘‘एक भी चलने वाला अखबार प्रभावित नहीं हुआ है। जो पेपर में पेपर हैं उन्हीं के ऊपर कार्यवाही की गई है — जो केवल इश्तिहार के लिए डीएवीपी के लिए छापे जाते हैं।’’
वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसे अखबारों को अलग रखा गया है जो नियमित छप रहे हैं। चाहे वह छोटा हो या बड़ा हो किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि एक तंत्र विकसित किया गया है कि अंग्रेजी, हिंदी और अन्य स्थानीय भाषाओं के लिए डीएवीपी के तहत क्या ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष तथा मीडिया के एक अंश के द्वारा एक छवि बनाई जा रही है कि हम छोटे अखबारों पर कारवाई कर रहे हैं। अगर किसी को लगता है कि उनके अखबार के साथ गलत हुआ है तो वह उनसे या उनके अधिकारी से मिलकर पुन: जांच का आग्रह कर सकते हैं।
वेंकैया नायडू ने कहा कि एक प्रिंटिंग प्रेस में 65 अखबार छप रहे हैं, क्या यह संभव है? हमने राज्यों से भी सहायता मांगी है कि वह प्रिंटिंग प्रेस के बिजली के बिल चेक करें। उसी से पता चल जाएगा कितने अखबार छप रहे हैं।
पिछले काफी समय से मोदी सरकार ने समाचार पत्रों की धांधलियों को रोकने के लिए सख्ती की है। आरएनआई ने समाचार पत्रों के टाइटल की समीक्षा शुरू कर दिया है। समीक्षा में समाचार पत्रों की विसंगतियां सामने आने पर प्रथम चरण में आरएनआई ने प्रिवेंशन ऑफ इमप्रापर यूज एक्ट 1950 के तहत देश के 2,69,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए।
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