लखनऊ — उनका नाम सत्तर के दशक में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में चंबल के बीहड़ों में लोगों को ख़ौफज़दा करने के लिए इस्तेमाल होता था। लेकिन ये पूर्व डकैत अब खुद को “बाग़ी” बताते हैं और “समाज में डकैतों” के ख़िलाफ़ लड़ने की क़सम खाते हैं। ये हैं 76 वर्षीय मलखान सिंह राजपूत जो शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के उम्मीदवार के रूप में धौरहरा निर्वाचन क्षेत्र से अपने भाग्य का परीक्षण कर रहे हैं।
1970 के दशक में चंबल के डकैतों के बेताज बादशाह रहे मलखान ने कहा, “’माहौल अच्छा है, धुआँधार लड़ रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मैं जीत जाऊंगा… मेरी पार्टी मज़बूत है और जिस भी चुनाव क्षेत्र में मैं जा रहा हूँ, मुझे अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।”
उनके द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर, मलखान ने कहा, “मैं लोगों के लिए चट्टान की तरह खड़ा रहूँगा और उन्हें समाज में डकैतों से बचाऊंगा जिनसे वे हर रोज़ सामना करते हैं।” मलखान को पहली बार 1964 में पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ़्तार किया था जब वे सिर्फ 17 साल के थे।
मलखान ने कहा, “ग़रीबों और महिलाओं पर अत्याचार करने वालों के ख़िलाफ़ मैं खड़ा रहूंगा। मैं चंबल के एक पहरेदार के रूप में अपनी परवाह किए बग़ैर उनका ख्याल रखूंगा।”
अपने अतीत को याद करते हुए मलखान ने कहा कि उनपर कोई धब्बा नहीं है। चंबल के खूंखार डकैत के किस्से बहुत पुराने हो चुके हैं।
“मैं डकैत नहीं था। मैं वो बाग़ी था जिसने आत्म-सम्मान और आत्मसुरक्षा के लिए बंदूक उठाई। मुझे पता है कि कौन असली डकैत हैं और उनके साथ कैसे व्यवहार करना है,” मलखान ने कहा।
“कोई भी यहां किसी के साथ अन्याय नहीं कर सकता है। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि लोग मुझे केवल अपने प्रतिनिधि के रूप में देखें।”
उनके इलाके के लोगों का कहना है कि मलखान को डकैत कहा जाता है। वे कहते हैं कि मलखान की छवि अभी भी चंबल के इलाकों के बाहर “रॉबिनहुड” जैसी है जहां उन्होंने 15 साल तक शासन किया था।
जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने धौरहरा निर्वाचन क्षेत्र का चयन क्यों किया तो मलखान ने कहा, “यह लोकतंत्र है। कोई भी कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है। अगर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं कर सकता?”
मलखान और उनका गिरोह चंबल क्षेत्र में सबसे ज़्यादा ख़तरनाक माने जाते थे। उन पर कुल 94 पुलिस केस थे जिनमें डकैती के 18 मामले, अपहरण के 28, हत्या के प्रयास के 19 और हत्या के 17 मामले शामिल थे। जब उनके आत्मसमर्पण पर अंततः बातचीत हुई तो मलखान ने अपने सिर पर रु० 70,000 की क़ीमत लगाई।
मलखान 1982 में तत्कालीन मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद राज्य के शिवपुरी ज़िला मुख्यालय में बस गए थे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि 76 वर्ष की आयु में 6 फ़ुट से अधिक लंबे मलखान अभी भी एक विद्रोही है लेकिन अमेरिकी ऑटोमैटिक राइफ़ल के बग़ैर, जिसे अपने डकैती के दिनों वे बात-बात पर लोगों पर तान देते थे।
आज सपा के उम्मीदवार के नाते मलखान चिलचिलाती गर्मी में गाँव-गाँव धूल फांक रहे हैं।
धौरहरा में मलखान ने 2009 में कांग्रेस के उम्मीदवार जितिन प्रसाद के लिए प्रचार किया था और उन्हें जीतने में मदद की थी। मलखान ने कांग्रेस नेताओं ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज बब्बर के साथ अपनी बैठकों के बारे में पूछे जाने पर कहा, “मुझे इस बार बांदा से कांग्रेस का टिकट देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन बाद में वे मुकर गए।”
मलखान का मुक़ाबला कांग्रेस उम्मीदवार जितिन प्रसाद, भाजपा की रेखा वर्मा और विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार अरशद इलियास सिद्दीकी (बसपा) से है। पाँचवे चरण के मतदान में निर्वाचन क्षेत्र में 6 मई को मतदान होगा।
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