लगभग 790 टन वजनी आयातित प्याज़ का पहला बैच भारत पहुंच गया है और कुछ मात्रा में दिल्ली और आंध्र प्रदेश को 57-60 रुपये किलो के हिसाब से वितरित किया जा रहा है। यह जानकारी आज उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। उन्होंने कहा कि लगभग 12,000 टन प्याज शिपमेंट दिसंबर के अंत तक आने की उम्मीद है।
सरकार की ओर से प्याज़ का आयात करने वाले राज्य में संचालित एमएमटीसी ने अब तक 49,500 टन प्याज का अनुबंध किया है।
भारत के प्रमुख शहरों में खुदरा प्याज़ की क़ीमतें औसतन 100 रुपये प्रति किलोग्राम पर क़ायम हैं, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में दरें 160 रुपये प्रति किलोग्राम के उच्च स्तर पर हैं। अधिकारी ने बताया कि “दो खेप जिसमें 290 टन और 500 टन प्रत्येक शामिल हैं, पहले ही मुंबई पहुँच चुके हैं। हम यह प्याज राज्य सरकारों को 57-60 रुपये किलो की कीमत पर दे रहे हैं।”
आंध्र प्रदेश और दिल्ली सरकार ने पहले ही अपनी मांगों को रखा है और आयातित प्याज़ उठाना शुरू कर दिया है।
प्याज़ तुर्की, मिस्र और अफगानिस्तान से आयात किया गया है। अधिकारी ने कहा कि घरेलू आपूर्ति में सुधार के लिए और अधिक खेप चल रही है।
पिछले वर्ष की तुलना में 2019-20 के फ़सल वर्ष (जुलाई-जून) में खरीफ उत्पादन में 25 प्रतिशत की गिरावट के कारण प्याज़ की कीमतों में तेजी आई है, क्योंकि प्रमुख उत्पादक राज्यों में देर से मॉनसून और अंततः अधिक बारिश हुई है।
पिछले कुछ हफ्तों में कई सरकारी उपायों के बावजूद प्याज की कीमतें कम नहीं हुई हैं। सरकार ने पहले ही प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगा दी है और सस्ती दर पर बफर स्टॉक की आपूर्ति भी कर रही है।
व्यापारियों और विशेषज्ञों का विचार है कि प्याज की कीमतें जनवरी तक स्थिर रहेंगी जब देर से खरीफ की फ़सल बाज़ार में उतरने लगेगी।
भारत ने आख़री बार 2015-16 में 1,987 टन प्याज आयात किया था जब कीमत में काफी वृद्धि हुई थी।
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