जैसे-जैसे ‘किसान आंदोलन’ तेज़ हो रहा है, वैसे-वैसे दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर स्थित गाँवों के लोगों की परेशानियाँ भी बढ़ती जा रही हैं। सोनीपत जिले में स्थित कुंडली गाँव में पिछले 2 दिनों में यहाँ आने वाले किसानों की संख्या दोगुनी हो गई है, जिससे ग्रामीण हलकान हैं। लोगों का अपने ही घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। उनके घर में राशन-पानी कम है, लेकिन वो बाहर नहीं निकल सकते।
अभी तक घरों से निकलने के लिए सड़कों पर कुछ जगह बची थी, लेकिन दो दिन से सड़कों पर इतनी भी जगह नहीं बची कि वहां से कोई बाइक लेकर भी नहीं निकल सकता है। वहीं पैदल निकलने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है। इस तरह के हालात होने पर कुंडली व आसपास के गांवों के लोगों को राशन भी खेतों के रास्ते से जाकर लाना पड़ रहा है।
कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर किसानों ने 16 दिन से नेशनल हाईवे 44 के कुंडली बॉर्डर पर डेरा डाला हुआ है। लगातार किसान बढ़ते जा रहे हैं और सबसे पहले पंजाब के करीब 25 हजार किसानों ने पहुंचकर धरना शुरू किया था। उसके बाद हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान व अन्य राज्यों के किसान भी पहुंच रहे हैं। दो दिन में जिस तरह पंजाब से किसानों के जत्थे पहुंचे हैं, उससे वहां किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा है। वहां 50 हज़ार से ज़्यादा किसान हो गए हैं।
पहले कुछ दिनों तक किसानों के डर से स्वतः ही इन प्रतिष्ठानों को बंद कर दिया गया। इसके बाद प्रशासन ने सतर्कता बरतने के लिए उन्हें बंद करवा दिया है। करीब 50 हज़ार लोग ऐसे हैं, जिन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है।
किसानों का पड़ाव 7 किमी तक है, वहां दो दिन पहले तक किसानों के बीच से सड़क पर बाइक व छोटे वाहन निकलने की जगह थी। जिससे कुंडली व आसपास के गांवों रसोई, नाथूपुर, प्याऊ मनियारी, सफ़ियाबाद, नांगल के लोग उस जगह का इस्तेमाल करके घर का जरूरी सामान लेकर आ जाते थे। इसके अलावा किसी ज़रूरी काम से जाना होता था तो वहां से जा सकते थे। दो दिन से सड़क पर वह जगह भी नहीं बची है और अब हालात ऐसे हो गए है कि इन गांवों के लोग अपने घरों से बाहर सड़क पर नहीं आ सकते है। उनको राशन व अन्य ज़रूरी सामान लेकर आने के लिए भी खेतों के रास्ते से नरेला या आसपास के गांव में जाना पड़ रहा है।
कुंडली के लोग अगर पैदल जाकर घर का सामान लेकर आए तो ऐसा भी नहीं कर सकते हैं। बाज़ार में किसान आंदोलन के पहले ही दिन से दुकान, क्लीनिक, मॉल, शोरूम सबकुछ बंद है। जहां पहले कुछ दिन किसान आंदोलन के डर से उनको बंद रखा गया, वहीं उसके बाद प्रशासन ने नुक़सान की आशंका को देखते हुए प्रतिष्ठान बंद कराने के आदेश जारी कर दिए। इस तरह क़रीब 50 हज़ार से ज्यादा लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
स्थानीय लोगों ने कहा, जिस समय से किसान आंदोलन शुरू हुआ है, उसी समय से क्लीनिक बंद किया हुआ है। हमारा क्लीनिक कुंडली में जीटी रोड के पास है। वहां रास्ता बंद है तो मरीज़ वहां नहीं आ सकते है। इसलिए ही क्लीनिक पहले ही दिन से बंद है। किसान आंदोलन ख़त्म होने के बाद ही रास्ता खुलने पर क्लीनिक खोला जाएगा।
किसान आंदोलन के कारण कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं हालांकि बोर्ड के इम्तहानों के मद्दे नज़र इन क्लासेज़ को खोल दिया गया है। क्योंकि सड़क पूरी तरह से जाम है तो संपर्क मार्ग भी बंद है। इसलिए काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। सड़क जाम होने के कारण घर के ज़रूरी सामान तक नहीं ला सकते है। यह समस्या कब तक झेलनी पड़ेगी, अभी यह पता ही नहीं चल रहा।
कुंडली के पूर्व सरपंच मनीष ने कहा कि यहाँ सबसे ज़्यादा लोगों को परेशानी हो रही है। सड़क पूरी तरह से जाम हो चुकी है और अब पैदल तक निकलने में परेशानी हो रही है। इसलिए लोग अपने घरों से बाहर ही नहीं निकल रहे है। वहां की दुकान, मॉल, क्लीनिक सबकुछ बंद है तो अन्य गांवों से कुछ सामान लेकर लोग आते है।
हमारे यहां से लोग पहले कुंडली से सामान लेकर आते थे, लेकिन कुंडली में सबकुछ बंद होने के बाद दिल्ली के नरेला से सामान लाने लगे। इसके अलावा किसी के बीमार होने पर उसे नरेला ही डॉक्टर के पास लेकर जाने लगे। किसानों ने वह रास्ता भी बंद कर दिया और वहां बैरियर लगा दिया था। जिससे गांव के लोग बंद होकर रह गए हैं और इससे परेशानी झेलनी पड़ रही है, अमित, सरपंच सफ़ियाबाद ने कहा।
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