रेल भाड़े में बढ़ोतरी को के एन गोविन्दाचार्य के संगठन राष्ट्रीय स्वाभिमान आन्दोलन ने “महंगाई को बढ़ाने वाली, ग़रीब-विरोधी एवं अलोकतांत्रिक” बताया है।
केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रेल यात्री किराया एवं माल भाड़े में की गयी वृद्धि के ऊपर, राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की आज एक बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता संगठन के राष्ट्रीय संयोजक बसवराज पाटिल ने की।
रेल बजट के पूर्व रेल के माल भाड़े में 6% एवं यात्री किराये में 14% सेअधिक की वृद्धि के ऊपर आयोजित इस बैठक में सम्मिलित सभी सदस्यों ने सरकार के इस निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण, जनविरोधी एवं अलोकतांत्रिक बताया। पाटिल का कहना है कि “रेल मंत्री को भाड़े में वृद्धि से पहले रेल द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का मुआइना करना चाहिए एवं बजट के माध्यम से इसका अनुमोदन संसद से करवाना चाहिए।पाटिल ने कहा कि रेल सिर्फ़ एक व्यवयसायिक संस्था नहीं बल्कि सरकार के हाथ में इसलिए है कि इसके माध्यम से भारत सरकार एक जनकल्याणकारी राज्य के सिद्धांत पर काम कर सके। महंगाई से त्रस्त भारत की जनता पर रेल किराया में वृद्धि से महंगाई की और मार पड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में स्थित भारतीय जनता पार्टी शासित भारत सरकार ने रेल किराए में वृद्धि कर भारत की जनता के उम्मीदों एवं जनमत का अपमान किया है।”
भारतीय रेल को अपने घाटे में कमी करने के लिए अन्य कदमों पर विचार करना चाहिए था — ऐसा रा० स्वा० आ० का मानना है। जनता से अधिक भाड़ा वसूलने से पहले रेल को अपनी सेवाओं को सुधारना आवश्यक है, ऐसी आम राय बैठक में बनी।
इस बैठक में सदस्यों ने रेल द्वारा चालू की गयी प्रीमियम रेल के अपने अनुभवों का भी बयान किया।कैसे प्रीमियम ट्रेन में रेलवे तीन गुना से अधिक किराया लेकर बदतर सेवाएं प्रदान कर रही है, आदि। संगठन के सदस्यों ने कहा कि “प्रीमियम ट्रेन के अनुभव उन लोगों के लिए आँख खोलने वाला होगा जो किसी व्यक्ति एवं पार्टी के प्रति अपनी अंधी निष्ठा के कारण सरकार के इस अलोकतांत्रिक एवं ग़रीब विरोधी निर्णय की सराहना कर रहे हैं।”
“अगर भाजपा सरकार जनहित की बात करती है तो उसे अपने इस फैसले को देश के हित में वापस लेना चाहिए” यह रा० स्वा० आ० का मत है।
बैठक में सरकार को ये सुझाव दिए गए कि किसी प्रकार के किराए की वृद्धि से पहले रेलवे की सेवा में सुधार एवं रेल सेवाओं की गिरती हालत से परेशान यात्रियों के शिकायत के निबटारे का प्रयास करना चाहिए।ग़रीबों के लिए गुहार लगाते हुए गोविन्दाचार्य के संगठन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कि जिसमें सरकार को याद दिलाया गया कि रेलवे का इस्तेमाल सिर्फ धनी तबके के लोग नहीं करते, वरन पैसे के अभाव से जूझता विद्यार्थी वर्ग, काम की तलाश एवं बेरोजगारी की मार से परेशान नौजवान, अपने घर पर नियमित काम नहीं मिलने के कारण दूर राज्यों में जाकर काम करेवाला मज़दूर, गाँव से शहरों में जाकर प्रतिदिन कार्य करनेवाला निम्न मध्यम वर्ग, रेल के इस बोझ को ढोने में आज असमर्थ है।
आंदोलन रेल मंत्रालय एवं भारत सरकार से यह मांग करता है कि अगर भारतीय रेल अपने घाटे से परेशान है तो यह रेल की स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी कर वास्तविक स्थिति से लोगों को अवगत कराए। रेल के संसाधनों का समुचित इस्तेमाल कर इसकी कार्यक्षमता में सुधार द्वारा काम करे। नवनिर्वाचित सरकार से जनता को काफ़ी उम्मीद है;इन उम्मीदों को पूरा करने के लिए आंदोलन सरकार से यह आग्रह करती है कि जनहित में अपने इस निर्णय को वापस ले।
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