सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त में आठ प्रमुख उद्योगों ने अपने उत्पादन में 0.5% की गिरावट दर्ज की। आर्थिक मंदी के समय आये इन आंकड़ों से बाज़ार में और निराशा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है जब कि देश की जीडीपी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में छह साल के न्यूनतम स्तर 5% पर आ गई है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के हवाले से पता चला है कि कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली के आठ प्रमुख उद्योगों ने पिछले साल अगस्त में 4.7% का विस्तार किया था। पीछे अभी के जैसे मंदी वाले आंकड़े नवंबर 2015 में (-) 1.3 दर्ज किए गए थे।
कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, सीमेंट और बिजली ने 8.6%, 5.4%, 3.9%, 4.9% और 2.9% की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की जबकि उर्वरक और इस्पात उत्पादन समीक्षाधीन माह में क्रमशः 2.9% और 5% बढ़ा।
अप्रैल-अगस्त के दौरान आठ प्रमुख उद्योगों में वृद्धि पिछले वर्ष के 5.7% से 2.4% अधिक थी।
मंदी के एक और संकेत के रूप में रिफाइनरी उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि दर इस साल अगस्त में 2.6% घट गई जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 5.1% थी।
मंदी दर्शाते आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए रेटिंग फर्म इक्रा (ICRA) ने कहा: “अगस्त 2019 में कोर सेक्टरों का प्रदर्शन निराशाजनक रूप से कमजोर था। आठ में से छह क्षेत्रों में व्यापक आधार पर गिरावट आई और साल-दर-साल रिकॉर्डिंग के आधार पर दिख रहा है कि पांच क्षेत्रों में कारोबार सिंकुड़ गया है।” कंपनी ने यह भी कहा कि कोर सेक्टर की वृद्धि में संकुचन इस दृष्टिकोण की पुष्टि करता है कि जुलाई में आईआईपी वृद्धि में मामूली उन्नति औद्योगिक बेहतरी की शुरुआत का संकेत नहीं था।
सरकार 2019-20 के लिए जीडीपी के 3.3% के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए वित्तीय वर्ष के अंत तक आरबीआई से लगभग रु० 30,000 करोड़ के अंतरिम लाभांश की मांग कर सकती है। अतीत में सरकार ने अपने खाते को संतुलित करने के लिए RBI से अंतरिम लाभांश प्राप्त करने का मार्ग अपनाया है। पिछले वित्त वर्ष में RBI ने अंतरिम लाभांश के रूप में रु० 28,000 करोड़ का भुगतान किया था।
पिछले महीने आरबीआई ने सरकार को रु० 1,76,051 करोड़ की राशि हस्तांतरित करने के लिए अपनी मंजूरी दी जिसमें वर्ष 2018-19 के लिए रु० 1,23,414 करोड़ का अधिशेष और संशोधित आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क के अनुसार अतिरिक्त प्रावधानों के रु० 52,637 करोड़ शामिल थे।
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