भारत छोड़ो आंदोलन की 72वीं वर्षगांठ पर 9 अगस्त को दिल्ली में भ्रष्टाचार के विरोध में आदर्श भारत अभियान (आभा) की शुरुआत की गई।
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में इसकी नींव रखते हुए पूर्व केंद्रीय क़ानून मंत्री और जाने-माने वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि आज देश को ऐसे आंदोलन की सख़्त ज़रूरत है। इस अभियान के तहत 5 मुद्दों पर पूरे देश में जन-जागरण की शुरुआत की जाएगी — चुनाव सुधार, पुलिस सुधार, न्यायिक सुधार, शिक्षा सुधार और काला धन वापस लाने पर यह अभियान मुख्य तौर पर केन्द्रित रहेगा।
पूरे दिन दो सत्रों में इन विषयों पर चर्चा की गई और हर मुद्दे पर विशेषज्ञ कमिटी अगले 15 दिनों में गठित करने का फ़ैसला लिया गया।
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह पुलिस सुधार, देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल मोहन पाराशरन क़ानून सुधार, चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार केजे राव चुनाव सुधार और जेठमलानी काला धन वापस लाने वाली टीम की अध्यक्षता करेंगे। शिक्षा सुधार के लिए कई शिक्षाविदों से बातचीत अंतिम दौर में है। आदर्श भारत अभियान की कोर कमिटी भी अगले 15 दिनों में गठित कर ली जाएगी।
आदर्श भारत अभियान की शुरुआत के मौक़े पर जेठमलानी के साथ जस्टिस डीएस तेवतिया, सीनियर प्रशासनिक अधिकारी भूरेलाल, केजे राव, पूर्व सॉलिसिटर जनरल मोहन पाराशरन, पूर्व पुलिस प्रमुख प्रकाश सिंह और शशिकांत, अर्थशास्त्री प्रो अरुण कुमार और अनिल बोकिल, डीआईजी रणबीर शर्मा और सुभाष कुमार, लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाश प्राप्त) विष्णुकांत चतुर्वेदी और डीपी वत्स, शिक्षाविद पवन सिन्हा, जयकांत मिश्रा और संक्रात सानू, वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक, एनके सिंह और अनुरंजन झा, एशियन मैराथन विजेता सुनीता गोदारा, अर्जुन अवार्ड विजेता एथलीट भीम सिंह और राजकुमार सांगवान, समाजसेवी बसवराज पाटिल और भरतगांधी के साथ कई विशिष्ट व्यक्ति मौजूद थे।
अण्णा हज़ारे के आंदोलन को देश में जिस जगह पहुँचना चाहिए था वहाँ पहुँचने से पहले ही उसकी असमय मौत हो गई। अण्णा के आंदोलन के असफल होने की वजह रही चंद व्यक्तियों के निजी स्वार्थ में आंदोलन की बलि देना, ऐसा अनुष्ठान में उपस्थित लोगों का मानना है। इस से पहले सिर्फ़ News में छपी एक ख़बर में ‘आभा’ के प्रणेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा था कि उन्होंने आम आदमी पार्टी बड़ी उम्मीद से ज्वाइन की थी और पार्टी के ख़िलाफ़ राष्ट्रवाद के मुद्दे पर विद्रोह करने से पहले तक उन्हें यह उम्मीद थी कि कभी न कभी उस पार्टी के नेताओं को अपनी भूल समझ में आएगी और वे अपना रास्ता बदल देंगे। ग़ौर तलब है कि उपाध्याय ‘आप’ के क़ानूनी सेल के मुखिया थे और इसलिए उनके पास उस पार्टी के अंदरूनी मुआमलात की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
“अण्णा के आंदोलन के बीच में ही दम तोड़ने के बाद यह सवाल लगातार हम सबके मन को कचोट रहा था कि आख़िर क्या इस देश को बेहतर बनाने के लिए आंदोलन नहीं किया जा सकता। क्या जिस आंदोलन कोपूरे देश का समर्थन हो उसे चंद लोगों के स्वार्थ की भेंट चढ़ जाने देनाचाहिए? इन तमाम सवालों पर यह टीम पिछले कई महीनों से काम कर रही थी। अण्णा आंदोलन असफल होने के बाद एक सवाल सबसे बड़ा था कि क्या हमें आंदोलननहीं करना चाहिए?क्या हमें एक आदर्श भारत का सपना नहीं देखना चाहिए?” उपाध्याय पूछते हैं।
उपाध्याय और उनकी टीम ने देश के कई छोटे-बड़े शहरों में घूमकर पतालगाया कि आख़िर देश की जनता अण्णा के आंदोलन के बारे में क्या सोचती है और किसी दूसरे आंदोलन का भविष्य कैसे देखती है। टीम ने महसूस किया कि भारत को एक आदर्श राष्ट्र बनाने के लिए अभी काफ़ी क़दम उठाने हैं और देश में अभी भी आंदोलनकी ज़रूरत है और जगह भी। अधिकांश लोगों ने यह राय दी कि आंदोलन पूर्ण रूप से ग़ैर-राजनैतिक होना चाहिए। जिस तरह अण्णा के आंदोलन के बाद उस टीम के चंद लोगों ने अपने निजी स्वार्थ की वजह से राजनीति का रुख़ किया और आन्दोलन को तहस-नहस कर दिया, इससे लोगों का विश्वास आंदोलन से ज़रूर डगमगाया है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए यह फ़ैसला लिया गया कि ‘आभा’ को पूर्ण रूप से ग़ैर-राजनैतिक रखा जाएगा।
उपाध्याय ने जानकारी दी कि इस अभियान के तहत देश के कोने-कोने में लोगों को सिस्टम का मौजूदा स्वरूप और इन सुधारों की ज़रूरत के बारे में शिक्षित किया जाएगा। देश की नौजवान पीढ़ी और छात्रों को विशेष तौर पर इन ज़रूरियात के बारे में जानकारी दी जाएगी। देश की जनता को बताया जाएगा कि आख़िर देश की आज़ादी के 67 साल बाद भी हम उन्हीं नीतियों कोक्यों ढो रहे हैं जिन्हें अंग्रेज़ी हुकूमत ने हमें ग़ुलाम बनाए रखने के लिए बनाए थे। सभी मुआमलों के एक्सपर्ट लोगों के साथ मिलकर मौजूदा स्वरूप में ज़रूरी संशोधन से कमिटी सरकार को अवगत कराएगी और साथ ही आंदोलनकारी अभियान के तहत सरकार पर दबाव बनाएंगे कि इन सुधारों को यथाशीघ्र लागू किया जाए।
अगर ज़रूरी संशोधन और सुधार 6 महीने के अन्दर सरकार लागू नहीं करती है तो आदर्श भारत अभियान के तहत देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत की जाएगी, उपाध्याय ने चेतावनी दी। “अब वक़्त इस बात पर ग़ौर करने का है कि आख़िर हम अपनी अगली पीढ़ी को कैसा भविष्य और कैसा देश सौंपना चाहते हैं,” बैठक में उपस्थित समाज के नेताओं ने बताया।
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