भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) एक संवैधानिक संस्था है जो चिकित्सा शिक्षा को उच्च स्तर पर लाने और इसे बनाये रखने के लिए ज़िम्मेदार है। चिकित्सा पाठ्यक्रम में लगातार सुधार किया जाता है। एमसीआई की अकादमिक इकाई समय-समय पर चिकित्सा पाठ्यक्रम में सुधार के लिए विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के साथ बैठक करती है। पाठ्यक्रम में सुधार करते समय अंतर्राष्ट्रीय मानकों की योग्यता और व्यवहार कुशलता को ध्यान में रखा जाता है।
चिकित्सा में प्रवेश के लिए मानकों में समानता लाने के लिए योग्यता को बढ़ावा दिया जाता है। देश भर में कई तरह की प्रवेश परीक्षाओं की कठिनाई से छात्रों को बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने अकादमिक वर्ष 2013-14 से स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा कोर्स में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय योग्यता और प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) नाम से एकल प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है। इसके लिए राज्यों की आरक्षण नीति, राज्य समितियों द्वारा तय की गयी शुल्क संरचना और विभिन्न कोटे में सीटों के वितरण में कोई फेर बदल नहीं किया गया है।
अकादमिक वर्ष 2013-14 के लिए एमबीबीएस और स्नातकोत्तर चिकित्सा कोर्स में प्रवेश के लिए एनईईटी क्रमशः केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड ने आयोजित की थी। हालांकि कुछ निजी चिकित्सा महाविद्यालयों और आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु सरकार ने एनईईटी प्रवेश परीक्षा नहीं देने के लिए अपने उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दायर की थी। यह याचिकाएं माननीय उच्चतम न्यायालय को भेज दी गयी थी। उच्चतम न्यायालय द्वारा 18 जुलाई 2013 को दिये आदेश में एनईईटी लागू करने को अमान्य कर दिया था। केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इस फैसले की समीक्षा के लिए याचिका दायर की है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने यह जानकारी राज्य सभा मे एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
पत्र सूचना कार्यालय
भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) एक संवैधानिक संस्था है जो चिकित्सा शिक्षा को उच्च स्तर पर लाने और इसे बनाये रखने के लिए ज़िम्मेदार है। चिकित्सा पाठ्यक्रम में लगातार सुधार किया जाता है। एमसीआई की अकादमिक इकाई समय-समय पर चिकित्सा पाठ्यक्रम में सुधार के लिए विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के साथ बैठक करती है। पाठ्यक्रम में सुधार करते समय अंतर्राष्ट्रीय मानकों की योग्यता और व्यवहार कुशलता को ध्यान में रखा जाता है।
चिकित्सा में प्रवेश के लिए मानकों में समानता लाने के लिए योग्यता को बढ़ावा दिया जाता है। देश भर में कई तरह की प्रवेश परीक्षाओं की कठिनाई से छात्रों को बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने अकादमिक वर्ष 2013-14 से स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा कोर्स में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय योग्यता और प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) नाम से एकल प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है। इसके लिए राज्यों की आरक्षण नीति, राज्य समितियों द्वारा तय की गयी शुल्क संरचना और विभिन्न कोटे में सीटों के वितरण में कोई फेर बदल नहीं किया गया है।
अकादमिक वर्ष 2013-14 के लिए एमबीबीएस और स्नातकोत्तर चिकित्सा कोर्स में प्रवेश के लिए एनईईटी क्रमशः केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड ने आयोजित की थी। हालांकि कुछ निजी चिकित्सा महाविद्यालयों और आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु सरकार ने एनईईटी प्रवेश परीक्षा नहीं देने के लिए अपने उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दायर की थी। यह याचिकाएं माननीय उच्चतम न्यायालय को भेज दी गयी थी। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा 18-7-2013 को दिये आदेश में एनईईटी लागू करने को अमान्य कर दिया था। केन्द्र सरकार ने माननीय उच्चतम न्यायालय में इस फैसले की समीक्षा के लिए याचिका दायर की है।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह जानकारी राज्य सभा मे एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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